बच्चों के आँखों की देखभाल क्यों है जरूरी?
बच्चों में आखों की कई समस्याएं देखी जा सकती है। लेकिन कई बार पेरेंट्स ऐसे बातों पर अनदेखी करते है और आगे चलकर बच्चों को यह समस्यां गंभीर स्वरुप धारण करती है जिस के चलते आप के बच्चों में तिरछापन, आखों की कमजोरी, और कई बार आखों की रौशनी जाने कीभी नौबत आ जाती है। इसलिए बच्चों के आँखों की देखभाल हर पेरेंट्स के लिए जरूरी है।
समस्याओं को जानने के के लिए हमें यह जरुरी है की बच्चों के बातों पर, हरकतों पर हमारा ध्यान होना जरुरी है। इसलिए हर पेरेंट्स को कुछ बाते जानना आवश्यक है।
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बच्चों के आँखों की देखभाल के important facts
- अगर आप का बच्चा बार बार आखें रगडता या मलता हुआ दीखता है, देखने के लिए आखों पर जोर डालता हुआ दीखता है तो शायद आप के बच्चे के आखों में कुछ प्रॉब्लम हो सकते है जिसे हमें अनदेखा नही करना चाहिए। क्यों की यह लक्षण बच्चे के आखों के कमजोरी के भी हो सकते है।
- अगर आप का शिशु किसी भी तरह के गजेट्स को देखते वक्त जैसे मोबाइल, टीवी, कंप्यूटर,लैपटॉप जैसे चीजे देखते वक्त अपनी एक आखं बंद कर देखता है तो भी आप को समझना चाहिए की यह बच्चे की आँखों के कमजोरी के लक्षण हो सकते है।
- यदि आप के बच्चे को पढ़ते वक्त किसी परेशानी का सामना करना पद रहा है जैसे पढ़ते वक्त आप का बच्चा किताब या अन्य साधनों को आखों के काफी नजदीक पकड रहा है तो भी वह किसी तरह की आखों की समस्या से घिरा हुआ पाया जा सकता है।
- आप के बच्चे की आखों और सर में यदि बार बार दर्द उठ रहा है, किसी चीज को देखते वक्त आखें दुःख रही है या दर्द हो रहा है तब भी आप समझ सकते है की यह बच्चे के कमजोर आखों की निशानी है।
- आप गौर से बच्चे की हरकतों पर ध्यान रखने की आवश्यकता होती है। क्या आप का बच्चा बार बार अपनी पलके झ्ग्पका रहा है? या ह भी एक गौर करने वाली बात है।
इस सम्बन्ध में कुछ समस्याएं या दोष भी बचों के आखों में पायें जा सकते है जिस के चलते काफी ऍम उम्र में बच्चों का चश्मा लगता है।
बच्चों में आंखों से संबंधित सामान्य समस्याएं
निकट दृष्टी दोष
कई बच्चों को दूर की वस्तुएं अथवा अन्य कोई भी चीजे धुंधली दिखाई देती है। यह समस्या आप के बच्चे में तब पाई जाती है जब आखों में मौजूद कार्निया और लेंस आखों की रेटिना पर ठीक से फोकस नही कर पातें। जिस में आखों की पुतली लम्बी या फिर लेंस का मोटा होने जैसी बाते शामिल होती है। इस के लिए हमें अपने बच्चे के आखों का चेक अप करना आवश्यक है। जिस में ज्यादातर माइनस नंबर का चश्मा लगाकर समस्या को ठीक किया जा सकता है।
दूर दृष्टिदोष
वैसे तो दूरदृष्टि दोष की समस्या बच्चों में काफी कम पाई जाती है। जिसमें बच्चों को दूर का तो स्पष्ट और साफ दिखाई देता है लेकिन पास की चीजें साफतौर पर देख नही पाते। इस समस्या कभी निकारण ज्यादातर प्लस नंबर का चश्मा लगाकर ही किया जाता है।
एम्बलायोपिया
नवजात शिशुओं में अथवा काफी छोटे बच्चों में पाए जाने वाली यह समस्या बच्चों के आखों के लिए काफी घातक सिद्ध हो सकती है। यह एक विजन डेवलपमेंट डिसॉर्डर की समस्या है जिस में आखें सामान्य क्षमता से विकसित नही हो पाती। शिशु या बच्चे के ८वर्ष के आयु के अंदर ही सामान्य तौर पर इसका उपचार कर लेना बेहतर साबित होता है।
स्ट्राबिस्मस
जिसे भेंगापन या तिरछी आंख भी कहां जाता है। भेंगापन मतलब आखों के बीच तालमेल की कमी होता है। यह समस्या ज्यादातर बच्चों में पाई जाती है। और आजकल कई तरह के गैजेट के प्रयोग से बच्चे भेंगेपन (स्ट्राबिस्मस) का शिकार हो रहे है। अगर सही समय पर इसका उपचार न हो तो मस्तिष्क एक आंख द्वारा मिलने वाले संदेश को अनदेखा कर देता है जिस से हमेशा के लिए भेंगापन उसके साथ रह सकता है।
बच्चों के आँखों की देखभाल सम्बन्धी कुछ महत्वपूर्ण बाते पैरेंट्स को हमेशा याद रखनी चाहिए। जैसे
- नवजात शिशु तथा छोटे बच्चों के पास मोबाइल, लैपटॉप जैसे गैजेट नही रखना चाहिए। या महत्वपूर्ण यह है की बच्चों को गैजेट्स से दूर रखना चाहिए। उन्हें चोरी उम्र में गैजेट्स का इस्तेमाल नही करने देना चाहिए।किसी भी गैजेट्स की स्क्रीन बच्चे की आखों को काफी क्षति पहुंचा सकती है।
- आप को बच्चों के आँखों की देखभाल तथा बच्चों के संपूर्ण विकास के लिए प्रोटीन, विटामिन, न्यूट्रीशन, कैल्शियम से भरपूर पदार्थों का सेवन बच्चों के लिए आवश्यक होता है। उन्हें संतुलित और पोषक भोजन खाने की आदत डालें, ताकि उनकी आंखों का विकास उचित रूप से हो सके।
- अपने बच्चों को रोजाना ज्यादा से ज्यादा पानी पीलाए अथवा बच्चों को पानी पीने के फायदे समझाए। पानी आंखों में नमी और ताज़गी बरकरार रखता है।
- पैरेंट्स होने के नाते आप को अपने बच्चों के नींद का ख्याल रखने की आवश्यकता होती है। आप का बच्चा भरपूर नींद ले सकें इस के लिए आप उनके सोने और उठने का एक समय निर्धारित कर सकते है।
- अगर आप के बच्चे झुककर या लेटकर पढ़ने के आदि हो गए है तो आप यह आदतें छुड़ाएं। बच्चों को हमेशा टेबल-कुर्सी या बैठ कर पढ़ने लिखने के लिए प्रेरित करें।
- बच्चों की आंखों का फोकसिंग पॉवर कम होता है इसलिए आप को चाहिए की आप के बच्चे किसी भी चीज को जैसे टीवी देखना या मोबाइल,कंप्यूटर देखना या पढ़ाई करना जैसी एक्टिविटीज में ब्रेक देने की आवश्यकता होती है।
- कभी भी बच्चों को रात के समय लाइट की रोशनी तथा कृत्रिम रोशनी में ज्यादा न पढ़ने दें। जिस से बच्चों के आंखों पर काफी बोझ पड़ता है।
- अगर बच्चे मोबाइल देखते है तो आप को ध्यान रखना है की मोबाइल या कोई गैजेट आखों से 1 या डेढ़ फीट के दूरी पर हो। और पढ़ते समय किताबों को कम से कम एक फीट की दूरी पर रखने के लिए कहें।
- बच्चों को हमेशा indoor games में न उलझाएं बच्चों को हमेशा outdoor गेमिंग के लिए प्रेरित करें। जिससे बच्चों का सर्वांगीण विकास के लिए बढ़ावा मिलता है।
- पैरेंट्स होने के नाते हमें अपने बच्चों के आंखों की नियमित रूप से जांच करानी चाहिए। यदि कोई भी समस्या आप देखते है तो तुरंत अपने डॉक्टर्स से अथवा विशेषज्ञ से संपर्क करें। आखों संबंधी समस्या के लिए किसी भी घरेलू उपचार पद्धति से बचें।
इस के साथ साथ कुछ सुरक्षात्मक उपायों को भी ध्यान में रखने की जरूरत पैरेंट्स को होती है।