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अपने शिशु की नींद का कैसे रखें खयाल, 5 important facts

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शिशु की नींद का महत्त्व जाने

 नवजात शिशु के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए शिशु की नींद का महत्व सर्वेपरी होता हैै। बच्चों के लिए नींद काफी जरूरी है।  जन्म से लेकर 2 वर्ष तक बच्चों के नींद के अलग अलग स्वरूप होते है। नवजात शिशु की नींद हर नई मां के लिए परेशानियों का सबब बन जाती है। लेकिन हर नई मां को इसे सही ढंग से समझने की जरूरत है। जिसे शिशु की नींद भी पूरी हो सकें और मां को होनेवाली परेशानियों से भी छुटकारा मिल जाए।

इस आर्टिकल में हम आप को शिशु के नींद के संबंधी सभी जानकारी को प्रस्तुत करेंगे। जन्म से लेकर शिशु के 2 साल के उम्र तक बच्चों को कितने घण्टों की नींद की जरूरत होती है? जन्म से लेकर 2 साल की उम्र तक शिशु के नींद के स्वरूप किस तरह से बदलते है? बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में शिशु की नींद किस तरह से महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है? शिशु की नींद का parents को किस तरह से ध्यान रखना है? और नींद के दौरान बच्चों को किस तरह से और कितनी बार breast feeding करानी चाहिए? इन सभी बातों को इस आर्टिकल में साझा करेंगे।

नवजात शिशु  से 3 महीने का शिशु 24 घंटे में कितनी देर सोता है

 नवजात शिशु से 3 month के शिशु के लिए 1 सम्पूर्ण दिन में औसतन 16 घण्टों की नींद आवश्यक होती है। जिसे में दिन के समय एक शिशु औसतन 6 से 8 घण्टे की नींद लेता है और रात के समय शिशु 8 से 10 घण्टों की नींद लेता है। यह शिशु के नींद के लिए सही और जरूरी माना जाता है। 

दिन के समय शिशु नींद के दौरान 4 से 5 बार झपकियां लेता है। इस दौरान शिशु को breast feeding देना जरूरी है। क्यों की बच्चे का पेट छोटा और अंतलिया कमज़ोर होती है जो एक बार में ही फीडिंग को नहीं पचा सकता इसलिए शिशु को बार बार भूक लगती है। इसलिए नींद के दौरान बच्चे उठते है।

रात के समय भी बच्चे एक साथ पूरी नींद नहीं ले सकते भूख लगने के कारण बच्चे 4 से 6 बार नींद से उठ जाते है। इस दौरान भी हमें बच्चों को breast feeding देने की जरूरत होती है।


3 month से 6 month का शिशु 24 घंटे में कितनी देर सोता है

 3 से 6 month के दौरान बच्चों के नींद का स्वरूप बदलता जाता है। बच्चे थोड़े एक्टिव हो जाते है। इसलिए दिन के समय बच्चे औसतन 4 से 6 घंटे की नींद लेते है और रात के समय बच्चे 10 से 12 घण्टे की नींद लेते है। इस उम्र के बच्चों के नींद की एक नॉर्मल range है। 

इस दौरान बच्चे थोड़ा ज्यादा देर सोते है। 3 से 4 बार झपकियां लेते है। 6 month तक बच्चे breast feeding पर ही निर्भर रहते है। इसलिए इस दौरान भी बच्चे को ज्यादा से ज्यादा breast feeding कराना आवश्यक है।

3 से 6 month के दौरान रात के समय का शिशु की नींद का स्वरूप थोड़ा बदल जाता है। जो एक मां को थोड़ी राहत देनेवाली बात होती है। रात के समय बच्चे 10 से 12 घण्टों की नींद लेते है लेकिन उनका एक बार में नींद का समय बढ़ जाता है। जैसे भूख की वजह से बच्चों की जो नींद टूटती है वह समय कम हो जाता है। इस दौरान बच्चे 2 से 3 बार ही झपकियां लेते है।


6 month से 1 साल का शिशु 24 घंटे में कितनी देर सोता है

6 month से बच्चों की activities बढ़ जाती है। बच्चे की आंतलिया भी सक्षम होने लगती है बच्चे ऊपरी खाना जैसे सेरेलेक, चावल का पानी, दाल का पानी, दलिया भी शुरू करते है। इस दौरान शिशु की नींद का स्वरूप बदल जाता है। दिन में बच्चे 3 से 4 घण्टे ही सोते है और उनकी झपकियों में भी कमी आती हैं। नींद के दौरान बच्चे 1 या 2 बार ही उठते है।

रात के समय बच्चे 11 से 12 घंटे तक सोते है। और रात में बच्चे नींद के दौरान 1 या 2 बार ही उठते है। बच्चों की activities बढ़ने के कारण बच्चे थक जाते है और रात में वह ज्यादा सोते है।


1 साल से 2 साल शिशु 24 घंटे में कितनी देर सोता है

1 से 2साल में बच्चे चलना दौड़ना शुरू कर देते है। उनकी activities में काफी बढ़ोतरी होती है। इस दौरान बच्चे अच्छी तरह से ऊपरी खाने पर निर्भर रखना सीख जाते है। नई चीजे सीखने की उत्सुकताओं में बच्चे खेलकूद में व्यस्त हो जाए है। 1 से 2 सा के बच्चों को 10 से 12 घण्टों की नींद पर्याप्त होती है। इस दौरान बच्चे दिन में काफी काम सोते है। 2 से 3 घण्टों की नींद दिन में और 8 से 10 घण्टे की नींद बच्चे रात के समय लेते है।


शिशु की नींद
शिशु की नींद

बच्चों को सुलाने के तरीके

नए parents जो होते है वह बच्चों को सुलाने के लिए काफी ज्यादा tention feel करते है। शिशु की नींद अच्छी नहीं होगी तो वह रोता रहेगा जिस से parents भी अच्छे से नहीं से पाएंगे। इस लिए हमें कुछ तौर तरीकों को जरूर आजमाना चाहिए। जिस से बच्चे अच्छे से सो सकें और पैरेंट्स भी राहत महसूस करें। इसलिए इस आर्टिकल में हम ने शिशु की नींद के लिए कुछ अच्छे और कारगर तौर तरीकों को शामिल किया है जो आप अपने शिशु पर आजमा सकते है।

बच्चों को सुलाने के तरीके – शिशु की मालिश।

बच्चों को सुलाने के तरीके - शिशु की मालिश।
शिशु को अच्छे से नींद आने का एक कारगर तरीका है कि आप शिशु को सुलाने से पहले शिशु की अच्छी मालिश करें। मालिश करने से बच्चे के overall body को आराम मिलता है जिस से बच्चे काफी रिलैक्स फील करते है। बच्चों को थकान काम हो जाती हैं। और उन्हे अच्छी नींद आने लगती है।

बच्चों को सुलाने के तरीके – समय का निर्धारण ।

रह एक महत्वपूर्ण बात इसलिए भी है कि आगे चलकर यह बात बच्चों की अच्छी आदतों में शुमार हो जाती है। आप को चाहिए कि शिशु की नींद का एक समय निर्धारित करें। और बच्चों को उसी समय सुलाने का प्रयत्न करें। बच्चों को पीठ पर लेकर लोरी सुनाते सुनाते थपथपाएं। उसके साथ धीरे धीरे आवाज में अच्छे से बात करें। या फिर गुनगुने पानी से बच्चों के शरीर को अच्छे से साफ करें। उस से भी बच्चे रिलैक्स फील कर के सो जाते है। और एक बार यदि time फिक्स हो जाए तो बच्चों को उसी वक्त नींद आती है।

बच्चों को सुलाने के तरीके – हल्का music चलाएं।

एक अध्ययन में यह बात पता चली है कि बच्चे music और rythemic words को अच्छे से सुनते है। जब भी आप बच्चे को सुलाने की कोशिश कर रहे हो तो आप कमरे में हल्का music चलाएं। जिसे बच्चा अच्छे से सुनता है और उसे नींद आने लगती है। यह भी एक बच्चों को सुलाने का कारगर तरीका हो सकता है।

कब होती है बच्चों में नींद की समस्या ।

कई बार बच्चे काफी परेशान रहते है। ज्यादा रोते है सो नहीं पाते। जिसे शिशु की नींद में समस्या आती है और parents कुछ समझ नहीं पाते। लेकिन बच्चों के नींद ना आने के कारणों की तरह हम ध्यान नहीं दे पाते।

बच्चों को नींद की समस्या के कई कारण हो सकते है। यदि आप का बच्चा भी अच्छे से सो नहीं पा रहा है या ज्यादा रों रहा है तो आप को इस की समस्याओं और कारणों पर ध्यान देने की जरूरत होती है। बच्चों के नींद की समस्या के कुछ कारण हमारे एक्स्पर्ट द्वारा सुझाएं गए है।

पेट ना भरना – बच्चों में नींद की समस्या ।

पूरी तरह से शारीरिक विकास ना होने के कारण शिशु काफ़ी कम मात्रा में feed करते है। दिन में एक या दो बार के feeding से बच्चों का पेट नहीं भर पाता इसलिए बच्चों में नींद की समस्या आ सकती है। आप को अपने शिशु को अच्छे से और बार बार feeding करानी चाहिए। जिसे बच्चे का पेट पूरी तरह से भर सकें और बच्चे अच्छे से नींद लें सकें।

दस्त, पेटदर्द – बच्चों में नींद की समस्या।

बच्चे अपने दर्द को बयां नहीं कर सकते। सिर्फ तो सकते है। दस्त या पेट दर्द के कारण भी भी शिशु की नींद ना आने की समस्या देखी जा सकती है। दस्त या पेट दर्द के कारण बच्चे ज्यादा तकलीफ़ महसूस करते है। इसलिए हमें बच्चों की समस्या को समझना पड़ेगा। और बच्चों के दस्त और पेट दर्द का इलाज करना पड़ेगा। ताकि बच्चे उस तकलीफ़ से राहत महसूस करें और अच्छे से सो पाएं।

दांत निकलना शुरू होना – बच्चों में नींद की समस्या।

दांत निकलते वक्त होने वाली मसूड़ों की तकलीफ़ से भी शिशु की नींद उड़ सकती है। दांत निकलते समय मसूड़ों को चीरकर दांत बाहर निकलते है। जो एक शिशु के लिए काफ़ी तकलीफदेह होता है। जिसे बच्चों को दस्त भी लग सकते है।

बच्चों को सुलाने में अनियमितता।

बच्चों को सुलाने में अनियमितता।
बच्चों को नींद ना आने का यह भी एक कारण हो सकता है। यदि आपके बच्चों को सुलाने में अनियमितता हो तो भी बच्चे को नींद की समस्या आ सकती है। इसलिए आप को चाहिए कि आप के बच्चे को सुलाने का एक रूटीन जरूर हो। जिसे उस वक्त बच्चे को नींद आ जाए।

बच्चों को सुलाते वक्त इन बातों का रखें ध्यान।

बच्चों को अच्छी तरह से सुलाने के लिए आप को कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है जिसे आप के शिशु की नींद अच्छी तरह से जो पाएं और आप को भी ज्यादा परेशानियों का सामना ना करना पड़े।

  • जिस कमरे में आप का बच्चा सो रहा है उस कमरे का temprature एकदम नॉर्मल रखने की कोशिश करें। ज्यादा ठंडा या ज्यादा गर्म ना होने दे।
  • अपने शिशु को गोद में सुलाने को आदत ना ड़ाले। अगर बच्चे को गोद में सुलाने की आदत से बच्चा आप की गोद के सिवा कहीं ओर से नहीं सकेगा।
  • अगर आपी का बच्चा कमरे में सो रहा है तो उस कमरे में अंधेरा रखने से शिशु की नींद से जुड़े हार्मोन बच्चे के शरीर में मेलाटोनिन को बढ़ाते है। जी से बच्चा अच्छी तरह से सो पाएगा।
  • बच्चे नींद में ही सूसू या पॉटी करते है जिस से बच्चों को ठंड लगने का खतरा बढ़ता है। ऐसे में आप शिशु को डायपर लगाकर सुला सकते है।
  • बच्चों को शांत माहौल में सुलाए। या जहां बच्चे सोए है वह का माहौल शांत रखने का प्रयास करें। जरा से आवाज या शोर शराबे से शिशु की नींद में खलल उत्पन्न हो सकता है जिसे शिशु चिड़चिड़ा हो जाता है।
  • बच्चों लिपट कर ना सोने दें। अक्सर बच्चे अपने parents को लिपटकर सो जाते है।

FAQ – शिशु की नींद के सवाल 

 

अक्सर लोग शिशु की नींद से जुड़े कई सवाल पूछते है। इसलिए इस आर्टिकल में हम ने ऐसे चुनिंदा सवालों के जवाब देने की कोशिश की है। हमारे जवाब हमारे एक्सपर्ट की राय है जो किसी अन्य से दी गई राय से भिन्न हो सकती है।

1) नवजात शिशु को रात को कैसे सुलाएं?

जवाब :- नवजात शिशु को सुलाने के लिए कुछ बातें हमें जरूर करनी चाहिए। जिस मे सब से पहले रात को नवजात शिशु को सुलाने से पहले शिशु की अच्छी मालिश हम कर सकते है। मालिश करें से बच्चों के स्नायु खुल जाते है। शिशु रिलैक्स फील करता है। जिस के कारण शिशु को गहरी और अच्छी नींद मिल सकती है। नवजात शिशु को सुलाने से पहले हम गुनगुने या थोड़े गर्म पानी से बच्चे को अच्छी तरह से साफ कर सकते है। या कमरे में धीमा music चला सकते है जिसे बच्चा अच्छी तरह से सो पाता है।

2) बच्चे ज्यादा क्यों सोते है?

जवाब :- बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बच्चों का 12 से 15 घण्टों तक सोना जरूरी है। शिशु की नींद अच्छी हो तो growth harmon सक्रिय होते है जिस से बच्चों को height बढ़ने में भी मदद होती है। और बच्चों में immunity power भी बढ़ती है। छोटे बच्चों का पाचनतंत्र पूरी तरह से विकसित नहीं होता इसलिए बच्चे ज्यादा सोते है। जो उनके पाचन तंत्र के लिए जरूरी है।

3) नवजात शिशु कितने घंटे सोते है?

जवाब :- शिशुओं केए नींद संबंधी किए गए अध्ययन नुसार नवजात शिशु औसतन 15 से 16 घण्टों की नींद लेते है। लेकिन कुछ बच्चों में 18 से 19 घण्टों की नींद लेते भी पाया गया है जो की normal categery में आता है।

4) बच्चे को कितना सोना चाहिए?

जवाब :- जन्म से 6 month तक बच्चे को 15 से 16 घण्टे की नींद पर्याप्त होती है। लेकिन कुछ शिशु की नींद इस से थोड़ी कम याने 12 से 14 घण्टे भी ही सकती है। 1 साल के ऊपर के बच्चों को चाहिए कि वह औसतन 12 से 14 घण्टे की नींद लें। लेकिन अपवादात्मक स्थिति में इस में थोड़ा कम या ज्यादा वक्त भी पाया गया है।

शिशु की नींद
शिशु की नींद

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