vaccination for babies के इस topic में हम अपने इम्युनिटी सिस्टम को strong बनाने और गर्भावस्था से लेकर शिशु के 15 वर्ष की आयु तक टीकाकरण ( baby vaccination) की जरूरत को समजते है। और जानते है, टीकाकरण क्या है? (what is vaccination), बच्चों के लिए टीकाकरण क्यों जरुरी है? (Why is vaccination necessary for babies), किन-किन बीमारियों से बचाव के लिए टीकाकरण किया जाता है? (What diseases are vaccinated against) टीकाकरण से क्या लाभ है? इन सभी बातों को इस आर्टिकल में जानेंगे।
“इम्युनिटी सिस्टम” (Immunity system) याने रोग प्रतिरोधक क्षमता प्राकृतिक तरीकों से हमारे शरीर में उत्पन्न होने वाले घातक संक्रमणों से हमें सुरक्षा प्रदान करती है। और हमारे शरीर में ऐसे एंटी बॉडीज (Anti bodies) का निर्माण करती है जो संक्रमणों के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया और परजीवों से हमें सुरक्षा प्रदान करती है। इस तरह से प्राकृतिक तौर पर हम किसी बैक्टीरियल इन्फेक्शन से जल्दी ठीक हो जाते है। और हमारे शरीर में उत्पन्न एंटी बॉडीज (Anti bodies) कुछ अधिक दिनों अथवा उम्र भर हमारे शरिर में मौजूद रहती है।
बच्चों के लिए टीकाकरण का महत्त्व (Importance of vaccination for babies)
बच्चों के लिए टीकाकरण का महत्त्व (Importance of vaccination for babies) कई अधिक इसलिए भी होता है की जन्म के उपरांत बच्चों में इम्युनिटी सिस्टम का विकास पूर्ण रूप से नही होता। इम्युनिटी सिस्टम का विकास करने के लिए बच्चों को शारीरिक, मानसिक, और दिमागी तौर पर पूर्ण विकसित होने की आवश्यकता होती है और साथ ही बच्चों को अच्छे आहार के साथ पोषक तत्वों का मिलना भी आवश्यक है।
इम्युनिटी सिस्टम का पूर्ण रूप से विकास ना होने की वजह से शरीर में गंभीर संक्रमणों से लढने के लिए बच्चों के शरीर में पर्याप्त मात्र में एंटी बॉडीज का निर्माण नही हो पाता। और इस के कई दुष्परिणाम सामने आते है जैसे बच्चों का सही और पूर्ण विकास ना हो पाना, बच्चों में विकलांगता, कुपोषण, विक्षिप्तता देखि जा सकती है। बच्चे टीकाकरण (baby vaccination) के अभाव में कई गंभीर संक्रमणों से ग्रसित होकर उनकी मृत्यु भी हो सकती है।
सही समय पर अपने शिशु का टीकाकरण (baby vaccination) करना आप के शिशु के जिवन के लिए बहुत जरुरी होता है। जो बच्चों को गंभीर बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करता है। और शिशु के इम्युनिटी सिस्टम को बढाता है। जिसे से बच्चों में होने वाले गंभीर संक्रमणों से उसे बचाया जा सकता है। इसलिए बच्चों के लिए टीकाकरण (Importance of vaccination for babies) का महत्व सब से अधिक होता है।
राष्ट्रिय टीकाकरण कार्यक्रम क्या है? (National vaccination programme)
गर्भावस्था से ही शुरू हो जाती है शिशुओं के टीकाकरण की प्रक्रिया
कई लोगों द्वारा यह पूछा जाता है की,
गर्भावस्था के दौरान लगाये जाने वाले टिके vaccine given during pregnancy
गर्भावस्था में माँ के इम्युनिटी को बूस्ट करने के लिए तथा कई तरह के संक्रमणों से माँ और गर्भ में पल रहे शिशु की सुरक्षितता के लिए गर्भावस्था में कुछ टिके (vaccine) लगवाना जरुरी हो जाता है। जिस में टीटी वैक्सीन (Tetanus Toxoid Vaccine) 1 और 2 के साथ टीटी बूस्टर (Tetanus Toxoid Booster) और हेपेटाइटिस (Hepatitis) जैसे टिके लगाये जाते है।
टीटी वैक्सीन – ( Tetanus Toxoid Vaccine)
गर्भावस्था के शुरवाती दिनों में सभी गर्भ धारण करने वाली महिलाओं के लिए टिटनेस टॉक्साइड के टिके लगाना बेहद जरुरी होता है। जो गर्भावस्था के दौरान होनेवालें टिटनेस जैसे गंभीर और जानलेवा संक्रमणों से माँ के शरीर में एंटी बॉडीज का निर्माण करता है जिस से शरीर में उत्पन्न टिटनेस के बैक्टीरिया को बढ़ने से रोखता है।
टीटी वैक्सीन माँ क साथ साथ गर्भ में पल रहे शिशु के लिए भी उतनी जरुरी है। नियोनेटल टिटनेस जैसे संक्रामक गंभीर बिमारियों से नवजात शिशु को काफी खतरा रहता है। जिस में शिशु को मांसपेशियों में एठन के साथ साथ पसलियों में जकडन महसूस होती है जिस से शिशु सांस नही ले पाता और ऐसे में शिशु की मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है। इसीलिए माँ और शिशु के लिए टिटनेस जैसे गंभीर खतरों से बचने के लिए गर्भावस्था के दौरान माँ को टिटनेस टॉक्साइड के दों टिके लगवाये जाते है।
साथ ही माँ क शरीर से यह एंटी बॉडीज शिशु के शरीर में भी विकसित होती है जिसे जन्म के बाद भी कुछ महीनों के लिए शिशु को इस संक्रमण से बचाया जा सकें। इस लिए pregnancy के शुरवाती दिनों में टीटी वैक्सीन इंजेक्शन के द्वारा गर्भवती माँ के बाहों के उपर दिया जाता है।
कई लोगों द्वारा पूछे जाने वाला सवाल-
(किसी भी महिला की पहिली गर्भावस्था में docters आप को टीटी वैक्सीन (TT vaccine) के दों टिके लगवाने की सलाह देते है। और यदि आप की दूसरी गर्भावस्था 3 साल के भीतर आती है तो आप को docters सिर्फ टीटी बूस्टर (Tetanus Toxoid Booster) का डोस लेने की सलाह देते है।)
गर्भावस्था क दौरान लगने वाले कुछ अन्य टिके
टीटी वैक्सीन (TT vaccine) के बावजूद गर्भावस्था के दौरान कुछ अन्य टिके भी लगाये जाते है जैसे, टीडैप वैक्सीन (Tdap vaccine), हेपेटाइटिस (Hepatitis), काली खांसी का टिका, इन्फ्लुएंजा (Influenza) का टिका जैसे महत्वपूर्ण टिके लगाये जाते है। साथ ही अन्य किसी कारणों अथवा जरूरत के हिसाब से docters की सलाह से आप कुछ अन्य टिके लगवा सकते है।
टीडैप वैक्सीन (Tdap vaccine)
शिशु में टिटनेस के साथ डिप्थीरिया और पर्टुसिस जैसे गंभीर संयुक्त संक्रमणों को रोकने के लिए गर्भावस्था में गर्भवती महिला को टीडैप वैक्सीन (Tdap vaccine) लेना जरुरी है।
हेपेटाइटिस (Hepatitis)
गर्भवती महिला को हेपेटाइटिस की सम्भावना सब से अधिक रहती है इसलिए अपने गर्भवस्था के दौरान हेपेटाइटिस (Hepatitis) vaccine अपने docters की सलाह से लेनी चाहिए। इस टिके से शिशु के जन्म के पूर्व और बाद शिशु और माँ के हेपेटाइटिस के संक्रमण से बचे रहते है।
काली खांसी का टिका
अपने शिशु को काली खांसी से बचने के लिए आप को गर्भावस्था के दौरान कलि खांसी का टिका अपने docters की सलाह से लगवा लेना चाहिए।
इन्फ्लुएंजा (Influenza)
साधारण महिला से अलग गर्भवती महिलाओं पर मौसमी संक्रमण का खतरा कई अधिक रहता है। साथ ही इस दौरान अलग तरह की mentality develope होती है जिस से भी खतरा बढ़ने का chance रहता है। गर्भ में शिशु किसी भी संक्रमण से बचने के लिए माँ की इम्युनिटी सिस्टम पर ही depend रहता है। इस के काफी अध्ययन के बाद वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन (WHO) ने गर्भावस्था क सभी स्टेज पर इन्फ्लुएंजा (Influenza) vaccine को सुरक्षित और कारगर बताया है।
क्या गर्भवती महिलाएं कोविड-19 (covid 19 vaccine) लें सकती है?
हाल ही कुछ सालों में हमारी दुनिया एक नए संक्रमण से रु-ब-रु होई है। पिछले कुछ सालों में covid 19 का आतंक पूरी दुनिया या पर छाया रहा है। दुनिया के कई वैज्ञानिक, विशेषज्ञ और कई तरह की संस्थाएं covid 19 vaccine के शोधकार्य में जुडी हुई है।
दुनिया में कई वैज्ञानिकों और संस्थाओं ने covid 19 vaccine बनाने में सफलता भी हासिल कर ली है। और दुनिया के कई देशों ने covid 19 vaccination programme की भी शुरवात कर दी है। लेकिन सवाल यह है की क्या गर्भवती महिलाएं covid 19 vaccine लें सकती है? आओ जानते है।
covid 19 vaccine during pregnancy
यदि कोई महिला अपने गर्भावस्था के दौरान covid 19 से संक्रमित पाई जाती है तो क्या उसका असर गर्भ में पल रहे शिशु पर पड़ेगा? और क्या इस से बचने के लिए covid 19 के संक्रमण को रोखने के लिए शरीर में एंटी बॉडीज को निर्माण करने के लिए कोई गर्भवती महिला covid 19 vaccine लें सकती है? यह आम सवाल काफी सोच में डाल सकते है।
covid 19 vaccine से जुड़े कई सवाल आज हमारे सामने है किन्तु इस का कोई ठोस जबाब उपलब्ध नही है जबतक परीक्षणों के पूर्ण नतीजें हमारे सामने नही आ जाते। लेकिन दुनिया के कई विशेषज्ञों ने इस पर अपनी राय रखी है। जो हम हमारे माध्यम से आप तक पंहुचा सकते है।
विश्व स्वास्थ संघटन ( world health organisation- WHO) द्वारा जारी सूचि में यह कहा है की,
दुनिया के कई विशेषज्ञ और vaccine निर्माण संस्थाओं ने भी इस बात पर अपनी राय को व्यक्त करते हुए यह कहाँ है की vaccine के सुरक्षा के उपायों और उसके अच्छे और बेहतर प्रभावों के जानते हुए भी इस का ट्रायल गर्भवती महिलाओं पर नही किया गया है जिस के स्वरूप हम अभी भी यह तय नही कर पा रह है की गर्भवती या स्तनपान करने वाली महिलाओं पर इसे सुरक्षित तरीकों से अजमाया जा सकें।
हलाकि इस बात के साबुत भी नहीं है की covid 19 vaccine का प्रयोग किसी गर्भवती महिला पर जोखिम भरा हो सकता है।
दुनिया के ज्यादातर संस्थाओं और विशेषज्ञों का मानना है इस साल डार्क स्टडीज के माध्यम से गर्भवती महिलाओं पर vaccine के प्रभावों का आकलन निश्चित ही संभव है।
जन्म के बाद शिशु का टीकाकारण vaccination for babies after birth
vaccination for babies after birth जन्म क बाद शिशु का टीकाकरण का यह vaccine schedule जानना हर parents के लिए जरुरी है, ताकि parents यह अच्छी तरह से समझ लें और अपने शिशु को सही समय पर vaccine लगा सकें ताकि भविष्य में उनका शिशु स्वस्थ, सुदृढ़, और किसी भी जानलेवा संक्रमण से बचा रहे। आओ जानते है जन्म के बाद शिशु के लिए vaccine schedule क्या होता है?
जन्म के बाद के मृत्युदर को देखते हुए भारत सरकार ने इस के रोकधाम के लिए सन 1975 में राष्ट्रीय टीकाकरण निति को अपनाया और सन 1985तक इसे पुरे देश में लागु कर दिया। जिस में बच्चों को जन्म से लेकर 15 वर्ष तक लगने वाले टिके मुफ्त प्रदान किये जाते है। जिसका उद्देश्य बाल मृत्युदर को कम करने के साथ साथ बाल स्वास्थ और विकास के कार्यक्रम को आगे बढ़ाना भी था।
कई तरह के गंभीर संक्रमणों के लिए दुनिया भर में महत्वपूर्ण शोध हुए और वैज्ञानिक गंभीर से अति गंभीर संक्रमणों के रोकधाम के लिए कई तरह की vaccine बनाने में सफल हुए। बच्चों में सही समय पर सही vaccine लगाने का निर्धारण किया गया जिसे vaccine schedule कहाँ जाता है। जिसे सूचीबद्ध तरीकों से लागु करने का काम राष्ट्रीय टीकाकरण निति द्वारा अपनाया गया।
- जन्म के समय
- शिशु के छठें सप्ताह से चौदवें सप्ताह (6 weeks to 14 weeks) की आयु में
- शिशु के छठें महीने ( 6 months) में
- शिशु के नौ से बारह महीने (9-12 months) के दौरान
- बच्चे के पन्द्रहवें महीने (15 months) में
- बच्चे के सोलह से अठारह महीने (16 -18 months) के दरम्यान
- बच्चे के अठराहवें महीने (18 months) में
- बच्चे की दों वर्ष (2 years) की आयु में
- बच्चे की चार से छठें वर्ष (4-6 years) की आयु में
- बच्चे के दस से पंधराह वर्ष (10-15 years) की आयु में
जन्म के समय (vaccination for babies)
टीकाकरण की शुरवात शिशु के जन्म से ही शुरू हो जाती है जिस से वह इस नई दुनिया में खुद को प्रोटेक्ट कर सकें। राष्ट्रीय टीकाकरण निति के नियमों के अंतर्गत प्राइवेट, निन्म-सरकारी, तथा सरकारी अस्पतालों में शिशु के जन्म के 24 घंटे भीतर ही बीसीजी का टिका, हेपेटाइटिस बी-1 का टिका, और पोलियो की जीरो खुराक देना अनिवार्य है।
शिशु को बीसीजी का टिका बाएं हाथ के उपरी भाग में 0.1 ml मात्र में दिया जाता है। तथा हेपेटाइटिस बी का टिका मध्य जांघ की बाहरी हिस्से में 0.5 ml की मात्रा में दिया जाता है। और साथ ही पोलियो की खुराक 2 बूंद की मात्रा में मुंह से दी जाती है
शिशु के छठें सप्ताह से चौदवें सप्ताह (6 weeks to 14 weeks) की आयु में
शिशु जब छह सप्ताह याने लगभग डेढ़ महीने का हो जाता है तब शिशु को रोटा वायरस वैक्सीन, OPV-1, F-IPV, हेपेटाइटिस बी-2, pcv (न्युमोकोकल कोन्जुगेट वैक्सीन), DTwP का पहिला टिका दिया जाता है। पहिला टीका लग जाने के 28 दिनों बाद याने लगभग शिशु की 10 weeks की आयु में रोटा वायरस वैक्सीन, OPV-2 और DTwP का दूसरा टिका और हेपेटाइटिस बी-3 का टिका दिया जाता है।
शिशु की चौदाह्वें सप्ताह ( 14 weeks) की आयु में शिशु को रोटा वायरस वैक्सीन, OPV-3 और DTwP का का तीसरा टिका और F-IPV और pcv (न्युमोकोकल कोन्जुगेट वैक्सीन) का दूसरा टिका और हेपेटाइटिस बी-4 दिया जाता है।
छठें महीने ( 6 months) में vaccination for babies
जब शिशु छह महीने का हो जाता है तब (Typhoid conjugate vaccine) टाइफाइड कोन्जुगेट वैक्सीन का पहला टिका और हेपेटाइटिस बी-5 का टिका दिया जाता है।
शिशु के नौ से बारह महीने (9-12 months) के दौरान
नौ से बारह महीने में शिशु को एमएमआर वैक्सीन (MMR vaccine) के साथ OPV-4 का टिका दिया जाता है। और शिशु के बारहवें महीने में हेपेटाइटिस A-1 का टिका दिया जाता है।
बच्चे के पन्द्रहवें महीने (15 months) में
शिशु के जन्म से पन्द्रहवें महीने में शिशु को एमएमआर वैक्सीन (MMR vaccine) का दुसरा टिका और वैरिकला का पहिला टिका और साथ में Pcv का बूस्टर डोस दिया जाता है।
बच्चे के सोलह से अठारह महीने (16 -18 months) के दरम्यान
शिशु के सोलह से अठारह महीने (16 -18 months) के दरम्यान शिशु को IPV बूस्टर के साथ DTP बूस्टर और HIB बूस्टर के टिके दिए जाते है। हेपेटाइटिस A-2 का टिका शिशु के 18 महीने के होते ही दौरान शिशु को लगाया जाता है।
बच्चे की दों से पन्द्रह वर्ष (2-15 years) की आयु में
(Typhoid conjugate vaccine) टाइफाइड कोन्जुगेट वैक्सीन का बूस्टर डोस शिशु के 2 वर्ष की आयु में शिशु को दिया जाता है। तथा शिशु के 4 से 6 वर्ष में बच्चे को DTP बूस्टर और MMR बूस्टर के टिके लगायें जाते है। साथ ही वेरिकला का दूसरा टिका भी ईसी दौरान बच्चे को लगाया जाता है। और बच्चे के 12 से 15 साल के दौरान टीडैप का टिका लगाया जाता है।
अनु. क्र. | शिशु /बच्चे की उम्र | टिका ( vaccine) |
---|---|---|
1. | जन्म के समय | बीसीजी का टिका, हेपेटाइटिस बी-1 का टिका, पोलियो |
2. | छठें सप्ताह से चौदवें सप्ताह (6 weeks to 14 weeks) | रोटा वायरस वैक्सीन, OPV-1, F-IPV, हेपेटाइटिस बी-2, pcv DTwP 10 weeks रोटा वायरस वैक्सीन, OPV-2 DTwP हेपेटाइटिस बी-3 14 weeks रोटा वायरस वैक्सीन, OPV-3 , DTwP , F-IPV , pcv (न्युमोकोकल कोन्जुगेट वैक्सीन), हेपेटाइटिस बी-4 |
3. | छठें महीने ( 6 months) | (Typhoid conjugate vaccine) टाइफाइड कोन्जुगेट वैक्सीन ,हेपेटाइटिस बी-5 |
4. | नौ से बारह महीने (9-12 months) | एमएमआर वैक्सीन (MMR vaccine), OPV-4 12 month -हेपेटाइटिस A-1 |
5. | पन्द्रहवें महीने (15 months) | एमएमआर वैक्सीन (MMR vaccine), वैरिकला, Pcv का बूस्टर डोस |
6. | सोलह से अठारह महीने (16 -18 months) | IPV बूस्टर, DTP बूस्टर, HIB बूस्टर ,हेपेटाइटिस A-2 |
7. | दों से पन्द्रह वर्ष (2-15 years) | (Typhoid conjugate vaccine) टाइफाइड कोन्जुगेट वैक्सीन बूस्टर डोस 4-6 years- DTP बूस्टर, MMR बूस्टर, वेरिकला 12-15 years- टीडैप |
टीकाकरण के बाद बच्चों की देखभाल (baby care after vaccination)
टीकाकरण के बाद हम अपने शिशु में उस के थोड़े side-effects देख सकते है लेकिन वह घबराने वाली बात नही है। टीकाकरण के बाद शिशु के शरीर का तापमान बढ़ना, शिशु को बुखार आना, बाह में लगने वाले टिके से उस जगह गाँठ या सुजन आना, यह काफी सामान्य लक्षण होते है। फिर भी आप अपने शिशु के टीकाकरण के बाद उठनेवाले दर्द के लिए अपने docters से वार्तालाप कर सकते है।
बच्चों के टीकाकरण के बाद हम कुछ बातों का ध्यान जरुर रखना चाहिए। जैसे ,
- शिशु को टिका लगवाने के बाद 20 से 30 मिनट तक हमें वही रुकना चाहिए क्योंकि यदि टिका लगवाने के बाद कोई रिएक्शन हम अपने शिशु में देखते है तो तुरंत उसे docters को दिखा सकें। टीकाकरण के समय इस बात का अवश्य ध्यान रखें।
- बच्चे का टीकाकरण के बाद बच्चे की breast feeding (स्तनपान) बंद ना करें।
- इंजेक्शन द्वारा होनेवाले टीकाकरण के बाद उस जगह पर मालिश ना करें ऐसा करने से शिशु को काफी दर्द महसूस हो सकता है।
- यदि आप का शिशु दर्द से ज्यादा परेशान है तो आप इंजेक्शन वाली जगह बर्फ या ठन्डे पानी से सिकाई कर सकते है।
- टीकाकरण के बाद शिशु को बुखार आना सामान्य होता है लेकिन यदि आप के शिशु को बुखार नही भी आये तो भी यह एक सामान्य बात ही है।
- टीकाकरण के बाद या कुछ दिनों बाद यदि आप का baby परेशान है, उसे उलटी, दस्त जैसी समस्या हो रही है तो आप को जल्द से जल्द अपने शिशु को docters को दिखाना चाहियें।
- शिशु सम्बन्धी किसी भी सामान्य या गंभीर बात को लेकर निरंतर अपने docters से चर्चा करना आप के लिए हमेशा हितैषी साबित होता है।
टीकाकरण के प्रकार (types of vaccination)
टीकाकरण के सामान्य तौर पर प्रमुख तिन प्रकार होते है जिसे हम 1) प्राथमिक टीकाकरण , 2) बूस्टर टीकाकरण, 3) सार्वजनिक टीकाकरण से पहचान पाते है।
1) प्राथमिक टीकाकरण
National Immunization Schedule द्वारा जारी राष्ट्रीय टीकाकरण के कार्यक्रम के अनुसार इम्युनिटी सिस्टम को बढाने के लिए और शरीर में गंभीर संक्रमणों के विरुद्ध एंटी बॉडीज को तैयार करने के लिए उचित समय पर टिके लगवाना आवश्यक होता है जिसे हम प्राथमिक टीकाकरण कहते है।
2) बूस्टर टीकाकरण
टीकाकरण होने के कुछ सालों बाद टिके का असर कम होने लगता है जो शरीर में एंटी बॉडीज की कमी का कारन हो सकता है इसलिए टिके के असर को बढाने के लिए उस टिके सम्बन्धी बूस्टर डोस को लेना जरुरी और अनिवार्य होता है जिसे बूस्टर टीकाकरण कहते है।
3) सार्वजनिक टीकाकरण
गंभीर संक्रमणों उर बिमारियों को जड़ से खत्म करने के लिए सरकार द्वारा टीकाकरण का विशेष कार्यक्रम चलाया जाता आ रहा है जिस में हम ने अभी तक माता/चेचक, पोलिओं जैसे बिमारियों को हमारे देश से खत्म कर दिया है। फिर भी हमारे पडोसी देश में पोलियों का पूर्णरूप से उच्चाटन नही हो पाया है इसीलिए सभावित खतरों को देखते हुए हमारे देश ने विश्व में पोलिओं के खत्म होने तक पोलियो का सार्वजनिक टीकाकरण जरी रखा है।
हमारे शिशु के लिए और उस के भविष्य के लिए टीकाकरण बहुत ही जरुरी है। जन्म के पूर्व और शिशु के जन्म के बाद नियोजित टीकाकरण कहिस्सा होकर अपने शिशु को गंभीर संक्रमणों के खतरों से आप बचा सकते है।
हमने vaccination for babies में जानें शिशु के टीकाकरण की जानकारी इस आर्टिकल में आप के लिए टीकाकरण की महत्वपूर्ण और सम्पूर्ण जानकारी साझा की है। जो हमारे शिशु के स्वास्थ के लिए काफी महत्वपूर्ण भी है। जिसे आप share कर अपने प्रियजनों तक अवश्य पहुचाएं। या टीकाकरण से जुड़े सवाल भी आप पूछ सकते है जिसका जवाब हमारे एक्सपर्ट द्वारा निश्चित ही आप को दिया जायेगा।