जब भी कोई महिला शिशु को जन्म देती है तो सब से पहले यह पूछा जाता है की डिलीवरी नार्मल तरीके से हुई है या सिजेरियन डिलीवरी हुई है? आमतौर पर डॉक्टर नॉर्मल डिलीवरी कराने की ही सलाह क्यों देते हैं? किसी भी प्रेग्नेंट महिला के लिए यह सवाल महत्वपूर्ण क्यों है? नार्मल डिलीवरी टिप्स हिंदी में हम इस सवाल को सरलता से समझने की कोशिश करेंगे।
साथ ही यह भी जानेंगे की नार्मल डिलीवरी के लक्षण क्या होते है? और एक प्रेग्नेंट महिला को अपने नार्मल डिलीवरी के लिए क्या करना चाहिए / और क्या नही करना चाहिए? किन बातों का खास ध्यान रखना चाहिए? इन सवालों के साथ-साथ नार्मल डिलीवरी के सभी जरुरी पैलुओं को जानने की कोशिश करेंगे।
महिलाओं में सिजेरियन डिलीवरी की उच्च दर को कई सामाजिक आर्थिक, मनोवैज्ञानिक और स्वास्थ्य समस्याओं का कारण माना जाता है। इस के कई कारण है जैसे, नॉर्मल डिलीवरी में होने वाले दर्द के मद्देनजर बीते कुछ वर्षों में गर्भवती महिलाएं सिजेरियन डिलीवरी का विकल्प चुन रही हैं। साथ ही कुछ साक्ष्यों से यह भी पता चलता है कि निजी सुविधाओं में अक्सर सिजेरियन डिलीवरी के लिए चिकित्सक द्वारा जोर डाला जाता है, क्योंकि इसके लिए उनको अनुचित वित्तीय प्रोत्साहन मिलता है।
लेकिन हमारा आर्टिकल नार्मल डिलीवरी टिप्स हिंदी के प्रति समर्पित है, इसलिए सी- सेक्शन याने सिजेरियन डिलीवरी के सम्बन्धी की चर्चा करना व्यर्थ है। आओ जानते है नार्मल डिलीवरी क्या है?
नार्मल डिलीवरी क्या है?
सामान्य तौर पर एक महिला द्वारा प्राकृतिक या नैसर्गिक तरीकें से शिशु को जन्म देना नार्मल डिलीवरी कहलाता है, जिस में प्रेगनेंसी के दौरान एक महिला और उस के पेट में पल रहे शिशु की सामान्य स्थिति को देखते हुए डॉक्टर्स कुदरती तौर पर डिलीवरी की सलाह देते है।
नार्मल डिलीवरी की सम्भावनाएं कब होती है?
प्रेगनेंसी के दौरान महिलाएं कई तरह के संभावनाओं पर विचार करती है, जिस में शिशु के भविष्य के साथ साथ नार्मल डिलीवरी या सिजेरियन डिलीवरी के सम्बन्धी विचार भी शामिल होते है। जो कई बार उस महिला के स्वास्थ पर गहरा प्रभाव छोड़ते है। ऐसे में सवालों को सुलझाना ही एकमात्र विकल्प है, इस लिए हम आप को नार्मल डिलीवरी टिप्स हिंदी के माध्यम से नार्मल डिलीवरी की कुछ संभावनाओं को बताते है, जिस से आप कुछ अंदाजा लगा सकती है, और खुद में सकारात्मक सोच को बढ़ा सकती है,
- प्रेगनेंसी के दौरान अगर प्रेग्नेंट महिला का ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर और खून में हिमोग्लोबिन की मात्रा सामान्य हो तो नार्मल डिलीवरी की संभावनाएं बढ़ जाती है।
- प्रेगनेंसी के दौरान कोई महिला किसी गंभीर बीमारी या अन्य किसी गंभीर स्वास्थ्य संबंधी समस्या से ग्रस्त नहीं है, तो यक़ीनन नार्मल डिलीवरी की सम्भावना बढ़ जाती है।
- अगर किसी प्रेग्नेंट महिला की पहले नॉर्मल डिलीवरी हुई हो तो भी दूसरी बार नार्मल डिलीवरी की सम्भावना बढ़ जाती है।
- गर्भावस्था के दौरान यदि प्रेग्नेंट महिला का स्वास्थ सामान्य हो और गर्भ में भी शिशु का वजन सामान्य होतो भी नार्मल डिलीवरी की सम्भावना बढ़ जाती है।
- अगर कोई प्रेग्नेंट महिला अपने गर्भावस्था के दौरान शारीरिक रूप से सक्रिय रहती है, डॉक्टर्स की सलाह से नियमित व्यायाम और योगाभ्यास करती है तो भी नार्मल डिलीवरी की सम्भावना बढ़ जाती है।
लेकिन यह सिर्फ संभावनाएं है, जरुरी नही की संभावनाओं के हिसाब से ही नार्मल डिलीवरी हो..लेकिन यह संभावनाएं नार्मल डिलीवरी की तरफ जरुर इशारा करती है। फिर भी हम इस का दावा नही कर सकते।
नार्मल डिलीवरी टिप्स हिंदी
आप सभी जानते है की संभावनाओं को कभी ख़ारिज नही किया जा सकता। और यह जरुरी भी है, प्रेगनेंसी के दौरान नार्मल डिलीवरी के लिए कुछ उपाय प्रेग्नेंट महिला द्वारा किये जाएँ तो यक़ीनन नार्मल डिलीवरी की सम्भावना कई प्रतिशत बढ़ सकती है। नार्मल डिलीवरी टिप्स हिंदी के माध्यम से हम कुछ टिप्स या उपाय आप के साथ साझाँ करते है, जिस से नार्मल डिलीवरी के चांसेस कई गुना बढ़ सकते है।
तनाव से दूर रहें
नॉर्मल डिलीवरी की इच्छा रखने वाली हर प्रेग्नेंट महिलाओं को जरुरी है की प्रेगनेंसी के दौरान तनाव से दूर रहने की ज्यादा से ज्यादा कोशिश करें। इसके लिए कई ऐसे तरीके भी मौजूद है जिस के माध्यम से आप तनाव से दूर रह सकती है, जैसे, वे चाहें तो ध्यान लगा सकती हैं, संगीत सुन सकती हैं या फिर किताबें पढ़ सकती हैं, किसी तरह के हलके-फुल्के कॉमेडी सिरिअल्स देख सकती है।
Negative विचार ना करें
प्रेगनेंसी के दौरान प्रेग्नेंट महिला को नकारात्मक बातों से दूर रहना चाहिए। किसिस भी तरह की नकारात्मक बाते आप को हतोत्साहित कर सकती है। जैसे, डिलीवरी से जुड़ी कई तरह की सुनी-सुनाई नकारात्मक बातें और किस्से आप को आप के आसपास सुनाने को मिल सकती है जिस पर आप को बिल्कुल भी ध्यान नहीं देना चाहियें। याद रखें कि हर व्यक्ति विशेष का अनुभव अलग हो सकता है। इसलिए, दूसरों के बातों से अपने भीतर डर पैदा न करें।
प्रेगनेंसी की सही जानकारी जुटाएं
अगर आप के मन में प्रेगनेंसी से लेकर कुछ सवाल है या किसी बात को लेकर उलझन है तो किसी के सुनि-सुनाई बातों पर ध्यान देने के बजाएं खुद सही जानकारी जुटाएं। यद् रखें सही जानकारी ही आप के भीतर के डर को दूर करती हैं। इसलिए, प्रेगनेंसी के बारे में ज्यादा से ज्यादा सही जानकारी पाने की कोशिश करें। इस के लिए आप विशेषज्ञों की भी सलाह ले सकती है। जो आप को प्रेगनेंसी को सही एक्सप्लेन कर आप के भीर उत्पन्न सवालों के भी सही जवाब दे सकते है।
अपनों के साथ रहें
प्रेगनेंसी पीरियड में आप को भावनात्मक रूप सभी मजबूत होने की आवश्यकता होती है, जो आप के नार्मल डिलीवरी की संभावनाओं को बढाती है, ऐसे में अपनों का साथ प्रेग्नेंट महिला को भावनात्मक रूप में मजबूत बनाता है। इसलिए, प्रेगनेंसी के दौरान हमेशा अपनों के साथ रहने की कोशिश करें।
खुद को हाइड्रेट रखें
गर्भावस्था में शरीर को अधिक फ्लूइड की जरूरत होती है ताकि अधिक खून और एम्निओटिक फ्लूइड बन सके, इसलिए गर्भवती महिलाओं को हमेशा खुद को हाइड्रेट रखना चाहिए। उन्हें खूब पानी या जूस पीना चाहिए।आप नींबू पानी, पुदीने का रस और हर्बल टी से भी शरीर में फ्लूइड्स की जरूरत को पूरा कर सकती हैं,और खुद को हाइड्रेट रख सकती है।
वजन को नियंत्रित रखना जरुरी
प्रेगनेंसी के दौरान वजन बढ़ना एक सामान्य बात होती है, लेकिन गर्भवती महिला के लिए वजन बढ़ना उन के परेशानी का कारण बन सकता है, इसलिए प्रेगनेंसी के दौरान वजन बहुत ज्यादा भी नहीं बढ़ना चाहिए। ज्यादा वजन होने से प्रसव के समय परेशानी हो सकती है। दरअसल, प्रेगनेंसी के दौरान महिला का वजन ज्यादा हो, वह ज्यादा मोटी हो, तो शिशु को बाहर आने में दिक्कत होती है।
व्यायाम और योगाभ्यास करें
प्रेगनेंसी के दौरान नियमित रूप से व्यायाम और योगाभ्यास से नॉर्मल डिलीवरी की संभावना काफी बढ़ जाती है। जहाँ व्यायाम आप के शरीर को चुस्त-दुरुस्त रखता है, वही योगाभ्यास आप के मन और मस्तिष्क को स्वस्थ रखता है। जी से नार्मल डिलीवरी की सम्भावना काफी हद तक बढ़ जाती है। इसलिए, डॉक्टर की सलाह लेकर नियमित रूप से व्यायाम जरूर करें। साथ ही डॉक्टर की सलाह पर घर के रोजमर्रा के काम भी करते रहें ।
मदद के लिए एक अनुभवी दाई रखें
अगर आप आर्थिक रूप से सक्षम है, और नॉर्मल डिलीवरी की चाहत रखती है आप अपने पास अनुभवी दाई को रख सकती है। ऐसी दाइयों के पास नॉर्मल डिलीवरी कराने का अच्छा अनुभव होता है, इसलिए वे डिलीवरी के दौरान गर्भवती महिलाओं के लिए काफी मददगार साबित हो सकती है। इसके अलावा, दाइयों को शिशु के जन्म के बाद की जाने वाली देखभाल की भी अच्छी जानकारी होती है।
नशीली चीजों से दूर रहे
गर्भावस्था के दौरान किसी भी तरह की नशीली चीजों का सेवन आप के लिए परेशानी का कारण बन सकता है, इसलिए गर्भावस्था के दौरान सिगरेट, शराब आदि नशे का सेवन नहीं करना चाहिए। यह नार्मल डिलीवरी में परेशानी खडी कर सकता है।
नार्मल डिलीवरी के लिए क्या खाएं / क्या ना खाएं
प्रेगनेंसी के दौरान सब से ज्यादा जरुरी है की आप को अपने खान-पान पर विशेष ध्यान देना चाहिए। जो गर्भ में शिशु के विकास के लिए और नार्मल डिलीवरी के लिए एक जरुरी बात है।
प्रेगनेंसी के दौरान क्या खाएं
प्रेगनेंसी के दौरान गर्भवती महिलाओं को नॉर्मल डिलीवरी के लिए अपने दैनंदिन खानपान में डेयरी उत्पादों, हरी पत्तेदार सब्ज़ियों, सूखे मेवों, बिना वसा वाले मांस, मौसमी फलों, अंडों, बेरियों व फलियों आदि का प्रयोग करना चाहिए। इसके अलावा, उन्हें दिन भर ढेर सारा पानी पीकर खुद को हाइड्रेट रखना महत्वपूर्ण है।
प्रेगनेंसी के दौरान क्या ना खाएं
गर्भावस्था में कच्चे अंडे, शराब, सिगरेट, ज्यादा मात्रा में कैफीन, उच्च स्तर के पारे वाली मछलियां, कच्चा पपीता, कच्ची अंकुरित चीजें, क्रीम दूध से बने पनीर, कच्चे मांस, घर में बनी आइसक्रीम व जंक फूड आदि से परहेज करना चाहिए।
नॉर्मल डिलीवरी के लिए कौन से व्यायाम करें / कौन से ना करें
प्रेगनेंसी के दौरान व्यायाम करने से माँ और गर्भ में पल रहा शिशु भी स्वस्थ रहता हैं, इस के साथ साथ नॉर्मल डिलीवरी होने की संभावना बढ़ जाती है। लेकिन हर स्त्री या महिला शारीरिक और मानसिक तौर पर अलग है, इसलिए, किसी भी व्यायाम को शुरू करने से पहले एक बार डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए।
कुछ व्यायाम ऐसे होते है जो गर्भावस्था के दौरान आसानी से किये जाते है, या करने चाहियें। जैसे,
- सुबह-शाम नियमित रूप से सैर करना।
- रोज थोड़ी देर स्विमिंग करना।
- हो सकें तो थोड़ी देर साइकिलिंग की सैर करना।
- रोजाना नियमित हल्की दौड़ लगाना।
इस के साथ ही आप किसी प्रोफेशनल जीम ट्रेनर के साथ या व्यायाम क्लासेस में भी हलके व्यायाम कर सकती है।
गर्भवती महिला को कौन से व्यायाम नही करने चाहिए?
- ऐसे व्यायाम नही करने चाहिए जिस से पेट के निचले हिस्से पर दबाव पड़ता हो। जैसे वेटलिफ्टिंग
- शारीरिक अंगों में ज्यादा खिंचाव उत्पन्न हो, ऐसे कोई भी व्यायाम नही करने चाहिए।
- अगर आप का स्वास्थ ठीक ना हो, और मन ना कर रहा हो तो व्यायाम नही करना चाहिए।
- ज्यादा भागदौड़ वाले, खेल या व्यायाम नही करने चाहिए।
नार्मल डिलीवरी के लिए कर सकते है यह योगासन
गर्भावस्था के दौरान अगर गर्भवती महिला नियमित रूप से कुछ खास तरह के योगासन करे, तो नॉर्मल डिलीवरी होने की संभावना बढ़ जाती है। हर एक गर्भवती महिला की शारीरिक स्थिति अलग-अलग होती है। इसलिए, किसी भी योगासन का अभ्यास शुरू करने से पहले एक बार डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए। नॉर्मल डिलीवरी के लिए नीचे दिए गए योगासन करने की सलाह दी जाती है :
- मार्जरा आसन
- बद्धकोणासन
- वीरभद्रासन
- त्रिकोणासन
- शवासन
नॉर्मल डिलीवरी के लिए पेरिनियल मालिश फायदेमंद
पेरिनियल मालिश नार्मल डिलीवरी के लिए काफी फायदेमंद साबित होती है, पेरिनियल मालिश से नॉर्मल डिलीवरी में आने वाले जोखिम को कम करने में मदद मिलती है। पेरिनियल मालिश वजाइना(योनिमुख) को खिंचाव देने में मदद करता है। साथ ही यह वजाइना की फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ाता है और ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करके एपिसीओटॉमी की आवश्यकता को कम करता है। विशेष रूप से पहली बार मां बन रही महिलाओं के लिए यह ज्यादा लाभदायक होता है।
इसलिए प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को हर दिन कुछ मिनट के लिए पेरिनियल मालिश करने की सलाह दी जाती है। इस मालिश के लिए बादाम के तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है।
पेरिनियल मालिश करने का तरीका
- सब से पहले आप को किसी एकांत स्थान को चुनना होगा, इसके लिए आप के रूम में आप दीवार का सहारा लेकर आरामदायक स्थिति में बैठ जाएं। बैठते समय दोनों पैरों को आगे की ओर करें। आप चाहें तो पीठ के पीछे आरामदायक तकिया भी रख सकते हैं।
- अपने हाथों को अच्छे से धो कर कीटाणु रहित कर लें और अपने उंगलियों पर थोड़ा-सा बादाम का तेल लगा लें।
- अब वजाइना के अंदर दोनों हाथों के अंगूठें डालकर बाकी की उंगलियों को बाहरी पृष्ठ भाग पर रखें, और धीरे-धीरे अंगूठों से वजाइना के अंदर के हिस्से की मालिश करें।
आइए, अब यह जानते हैं कि नॉर्मल डिलीवरी की प्रक्रिया क्या होती है।
नॉर्मल डिलीवरी कैसे होती है? | Normal Delivery Kaise Hoti Hai
जब किसी महिला की प्रेगनेंसी की निर्धारित अवधि पूरी हो जाती है तब उस महिला को पेट में अत्याधिक दर्द महसूस होने लगता है, तो वह अस्पताल जाती है। इसके बाद उन्हें बेड पर लिटाया जाता है। इसके बाद डॉक्टर के द्वारा उन्हें बार बार पुश करने के लिए कहा जाता है। इसके बाद महिलाओं को अपनी बॉडी की पूरी ताकत लगाकर अपने बच्चे को बाहर निकालने के लिए प्रेशर देना होता है। इस दौरान महिलाओं की चीख निकलना या चिल्लाना आम बात होती है लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए, बल्कि अपना सारा ध्यान प्रेशर देने पर ही लगाना चाहिए।
प्रेशर देने के दरमियान आप बीच-बीच में आराम भी कर सकती हैं। यह आराम 1 या फिर 3 सेकंड का हो सकता है। इसके बाद आपको फिर से दबाव देना चाहिए और जब आपको डॉक्टर रुकने के लिए कह तब आपको रुक जाना चाहिए। प्रेशर देने के कारण ही धीरे-धीरे बच्चा आपके पेट से वजाइना (योनिमुख) से बाहर निकलता है।
नार्मल डिलीवरी भी दों प्रकार से होती है,
नेचुरल चाइल्ड बर्थ
नेचुरल चाइल्डबर्थ में कुदरती तौर पर एक शिशु का जन्म होता है, इसमें शिशु को जन्म देते वक्त माँ को काफी दर्द का सामना करना पड़ सकता है साथ ही अपने पेट पर ज्यादा प्रेशर लगाने की जरूरत होती है। इस विधि में जब आप बच्चा पैदा करने के लिए जोर देती हैं, तो आपको थोड़ी सी राहत अवश्य मिलती है। और जैसे ही आपके पेट में पल रहा बच्चा नीचे की ओर आने लगता है, वैसे ही आप लगातार प्रेशर झेलने लगती हैं और आपके प्रेशर में भी वृद्धि होती है।
एपीड्यूरल
इस प्रकार की डिलीवरी में दवा के द्वारा आपकी तंत्रिकाओं को सुन कर दिया जाता है, जिसके कारण आपको या तो कम दर्द महसूस होता है या फिर दर्द महसूस ही नहीं होता है। इस प्रकार की डिलीवरी में आपको अपनी वजाइना (योनिमुख) में थोड़ा सा खिंचाव महसूस होता है।
नार्मल डिलीवरी के फायदे
- नार्मल डिलीवरी का सबसे बड़ा फायदा यह है कि जिन महिलाओं की नॉर्मल डिलीवरी होती है वे जल्द ही रिकवर कर जाती हैं। बच्चे के जन्म के कुछ घंटे बाद ही वे अपने पैरों पर चल फिर सकती हैं और उन्हें किसी की हेल्प की जरूरत नहीं पड़ती।
- नार्मल डिलीवरी के समय महिला के शरीर में एंडोर्फिन नाम का हार्मोन रिलीज होता है जिससे शरीर का दर्द कम होता है।
- नॉर्मल डिलीवरी के समय वजाइना पर थोड़े ही टांकें लगते है और कोई अंदरूनी जख्म नहीं होता। इसलिए महिलाएं लंबे समय तक होने वाले दर्द से बच जाती हैं।
- नॉर्मल डिलीवरी में किस तरह के इंफेक्शन का खतरा भी ना के बराबर रहता है। जिससे महिलाओं को आगेपरेशानी नहीं होती।
- नॉर्मल डिलीवरी में स्पाइनल से किसी तरह का संपर्क नहीं होता।
- नॉर्मल डिलीवरी के बाद महिलाएं बहुत जल्दी सामान्य हो जाती हैं। वे अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव कर जल्दी फिट हो सकती हैं।
- नॉर्मल डिलीवरी होने पर, शिशु को अपनी मां का साथ सिजेरियन डिलीवरी के मुकाबले थोड़ा पहले मिल पाता है।
- बच्चे को मां का दूध जल्दी मिलता है। इससे बच्चे को पीलिया होने खतरा कम हो जाता है।
सम्बन्धित सवाल – FAQ
एपीसीओटॉमी Episiotomy क्या होती है?
एपीसीओटॉमी को पेरीनिओटमी के रूप में भी जाना जाता है, यह एक परिधीय शल्य चिकित्सा चीरा है और एपीसीओटोमी करने के लिए डॉक्टर गर्भवती महिला के योनि भाग पर चीरा लगाते हैं। जो बच्चे की जल्दी डिलीवरी के लिए योनी जे फैलाव को बढ़ाती है। आमतौर पर डॉक्टर एपीसीओटोमी करने का फैसला डिलीवरी के दौरान ही लेते है।
क्या सी सेक्शन के बाद नॉर्मल डिलीवरी हो सकती है?
ऑपरेशन से डिलीवरी करवाने वाली हर महिला की दूसरी बार नॉर्मल डिलीवरी हो सकती है। अगर आपकी पहले सिजेरियन डिलीवरी हुई है तो भी अगली बार आप नॉर्मल डिलीवरी हो सकती हैं। इसे वजाइनल बर्थ आफ्टर सिजेरियन कहते हैं। लेकिन यह बात काफी हद तक गर्भवती महिला की शारीरिक स्थिति पर निर्भर करती है।
क्या डिलीवरी के बाद योनि पर टांके लगाने की जरूरत भी पड़ती है?
जीं हां, डिलीवरी के दौरान जब बच्चा बाहर निकलने लगता है, तो गर्भवती महिला की वजाइना पर बहुत ज्यादा दबाव पड़ता है। इस वजह से वजाइना का हिस्सा थोड़ा-सा फट भी सकता है। ऐसे में योनि पर टांके लगाने की जरूरत पड़ सकती है। साथ ही अगर एपीसीओटोमी है, तो उसके बाद टांके लगाने ही होते हैं।
बिना दर्द के नार्मल डिलीवरी कैसे होती है?
एपीड्यूरल की मदद से नार्मल डिलीवरी का दर्द कम किया जाता है, इससे लेबर-पेन बिल्कुल नहीं होता परंतु डिलीवरी की प्रक्रिया अपनी सामान्य गति से चलती रहती है। इस प्रकार बिना किसी तरह के दर्द समय पूरा होने पर नार्मल डिलीवरी होती है।
संबोधन
नार्मल डिलीवरी टिप्स हिंदी के इस आर्टिकल में हम ने आप को नार्मल डिलीवरी क्या होती है?डिलीवरी कैसे होती है? (delivery kaise hoti hai) नार्मल डिलीवरी के लिए क्या करें (normal delivery ke liye kya karen) नार्मल डिलीवरी के उपाय क्या है? के सभी जरुरी जानकारी के साथ नार्मल डिलीवरी प्रोसेस को एक्सप्लेन किया है। आशा करते है, आप को इस आर्टिकल के माध्यम से नार्मल डिलीवरी की सभी जरुरी जानकारी मिल गई होगी।
- Luxury Real Estate Market Soars: High-End Apartment Sales Hit Record Highs Across United States
- The Best Luxury Villas in Canada
- Chill Vibes and Thriving Ventures: Top Trending Businesses in India This Winter Season
- Luxury Apartments in the USA for Sale
- Financing Your Dream Wedding: Wedding Loans in Canada