अगर हम कुछ दशकों पहले की बात करें तो ज्यादातर डिलीवरी घर पर ही होती थी। और घर पर डिलीवरी करनेवाली दाई या कोई तजुर्बे वाली महिला या व्यक्ति गर्भ में लड़के की हलचल देखकर यह बता देती थी की आप के गर्भ में पल रहा शिशु लडका है या लड़की। तब कोई अल्ट्रा साउंड की जानकारी की भी जरूरत नही होती थी। आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में तजुर्बे वाली महिलाएं गर्भवती महिला के गर्भ में बच्चे की हलचल देखकर बता देती हैं की उसके गर्भ में लड़का है या लड़की हैं।
लेकिन आज विज्ञानं ने कई अधिक तरक्की कर ली है। ऐसी कई तरह की टेक्नोलॉजी आज मौजूद है जिसे हम यह आसानी से गर्भ में पल रहा शिशु का लिंग पता कर सकते है। जब यह टेक्नोलॉजी भारत आयी तब कई तरह से उसका गलत इस्तेमाल हुआ। कुल को दीपक अनिवार्य है ऐसी कई गलत और असंस्कृत धारणाओं से गर्भ में ही शिशु के लिंग को जानकर गर्भ में ही कई लड़कियों की हत्याएं की गयी। ऐसी गलत धारणाओं को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा सक्त से सक्त कदम उठायें गयें। जिस के चलते गर्भ लिंग परिक्षण को क़ानूनी अपराध माना गया।
गर्भ लिंग परिक्षण है क़ानूनी अपराध
आज भारत मे अल्ट्रासाउंड की मदत से गर्भ लिंग परिक्षण करना सब से बढ़ा अपराध है, और यह सही भी है। लेकिन यह टेक्नोलॉजी शिशु के विकास एवं किसी तरह की मुश्किलों को जानने के लिए अनिवार्य है। इसलिए डॉक्टर्स अल्ट्रा साउंड से गर्भ में पल रहे शिशु की जांच करते है। लेकिन लिंग परिक्षण नही कर सकते। अगर वो ऐसा करते है तो यह क़ानूनी अपराध माना जाएगा जिस में कड़ी से कड़ी सजा के साथ डॉक्टर्स के लाइसेंस को रद्द किया जाता है, और हॉस्पिटल को भी सील लगाया जाता है।
लेकिन यदि कोई पेरेंट्स अपने आनेवाले शिशु के लिए प्लानिंग के साथ आगे बढ़ना चाहते है, या उत्सुकता से यह जानना चाहते है या पहले ही अपने होने वाले शिशु के लिए खरीददारी करना चाहते है तो आप पारंपरिक तरीकें से गर्भ में लड़के की हलचल देखकर यह आसानी से समझ सकते है।
गर्भ में लड़के की हलचल से जान सकते है
गर्भ में लड़के की हलचल के इस आर्टिकल में हम गर्भ में लड़के की हलचल क्या होती है? तथा गर्भ में पल रहा शिशु लड़का है या लड़की यह कुछ एक्टिविटीज से जानेंगे।
गर्भ में शिशु कैसी एक्टिविटी करता है?
जो महिलाएं पहिली बार प्रेग्नेंट होती है, वह इस बात को जानने के लिए काफी उत्साहित होती है की गर्भ में शिशु कैसे हलचल करता है? तो आप को बता दें की गर्भ में बच्चे की हलचल किक मारने , हिचकियां लेने , हिलने डुलने जैसे तौर पर होती है। इसके साथ साथ गर्भ में एक शिशु अपने शरीर को दूसरी तरफ मोड़ना , चेहरे को हिलाना तथा हाथ को चेहरे को छूने हेतू हिलाना जैसी एक्टिविटीज भी करता है।
गर्भ में लड़के की हलचल कब से शुरू होती है?
एक माँ के गर्भ में बच्चे की हलचल की शुरुआत सत्रह सप्ताह के बाद शुरू होती है और जैसे -जैसे सप्ताह बीतते हैं माँ को गर्भ में बच्चे की हलचल का ज्यादा अहसास होने लगता है। गर्भ में शिशु के हलचल का एहसास सत्रह सप्ताह से 35 सप्ताह के बिच होता है। 35 वें सप्ताह के बाद इसमें कमी आना शुरू हो जाती है क्योंकि गर्भ में शिशु के शरीर के बढ़ जाने की वजह से उसे गर्भाशय में हलचल करने की जगह नहीं मिलती।
देखें web story के माध्यम से – गर्भ में लड़का होगा या लड़की –
गर्भ में बच्चा ज्यादा हलचल क्यों करता है
गर्भ में बच्चे की हलचल एक हर मां के लिए एक बहुत ही खूबसूरत अहसास होता है। बच्चे की गर्भ में हलचल से माँ को दर्द भी होता है, लेकिन वह एहसास ही इतना खुबसूरत होता है, जिस से माँ अपना दर्द भूल जाती है। सामान्य तौर पर प्रेगनेंसी के दूसरी तिमाही के बीच में यानी 17 वें से 22 वें सप्ताह के मध्य गर्भ में बच्चे की हलचल शुरू हो जाती है, और प्रेगनेंसी के 22 वें से 30 वें सप्ताह के बीच यह हलचल ज्यादा हो जाती है। इस दौरान शिशु हिलना – डुलना, हिचकियां लेना, किक मारना और भी कई क्रिया करना शुरू कर देता है।
प्रेगनेंसी में लड़का होने के क्या होते है लक्षण?
सामान्य तौर पर ज्यादातर सभी पेरेंट्स यह जानने को उत्सुक रहते है की लड़का होगा या लड़की। लेकिन यह नही जानते की गर्भवती महिला में होनेवाले परिवर्तनों और कुछ ऐसे लक्षणों से यह आसानी से जाना जा सकता है की गर्भ में लड़का या लड़की है। वह लक्षण है,
- यदि प्रेगनेंसी के समय गर्भवती महिला के दोनों स्तनों के आकार में अंतर हो तथा बाएं तरफ का स्तन आकर में बड़ा हो समझे की यह लड़का होने का लक्षण है।
- यदि प्रेगनेंसी के दौरान किसी गर्भवती महिला के पेट नीचे की तरफ से उभरा हुआ हो तो लडका होने का लक्षण होता है।
- यदि प्रेगनेंट महिला का पेट ऊपर की तरफ उभरा हुआ हो सामान्य तौर पर लड़की होने का लक्षण होता है।
- एक प्रेग्नेंट महिला के यूरिन के रंग से भी आसानी से यह जान सकते हैं कि गर्भ में लड़का है या लड़की है। यदि गर्भवती महिला के यूरिन का रंग गर्द पिला हो तो यह एक लड़का होने का लक्षण माना जाता है।
- जबकि किसी गर्भवती के यूरिन का रंग हल्का पीला होतो सामान्य तौर पर यह लड़की होने का लक्षण माना जाता है।
- अमूमन यह समझा जाता है की यदि प्रेगनेंसी के बाद किसी गर्भवती महिला की सुन्दरता और बढ़ जाती है, वह ज्यादा आकर्षित लगने लगती है तो गर्भ में लड़की होगी।
- वहीं गर्भ में लड़का होने पर चेहरा मुरझाया हुआ लगने लगता है और बाल झड़ने लगते हैं। तथा हाथ – पैर थोड़े ठंडे लगने लगते है।
- अगर कोई प्रेगनेंट महिला अपने गर्भावस्था के दौरान ज्यादा नमकीन खाना पसंद करने लगे तो यह लड़का होने का लक्षण हो सकता है वहीं यदि वो मीठा खाना ज्यादा पसंद करने लगे तो यह लड़की होने की संभावना हो सकती है।
- प्रेगनेंसी के दौरान प्रेगनेंट महिला का मूड स्विंग होना आम होता है, किन्तु यदि इस दौरान गर्भवती महिला का मूड जरूरत से ज्यादा स्विंग होता हो तो उस महिला के गर्भ में लड़का होने के चांसेज ज्यादा होते हैं।
- आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में यह मान्यता है कि प्रेग्नेंट महिला को अगर गर्भ में पल रह शिशु बायी तरफ यानी लेफ्ट साइड में महसूस हो तो लड़की होती है और यदि दाएं तरफ यानी राइट साइड मे महसूस हो तो लड़का होता है। .
संबोधन
हम ने इस आर्टिकल के शुरवात में ही आप को बता दिया है की शिशु के लिंग का पत्ता लगाना एक क़ानूनी अपराध है। लेकिन ज्यादा तर प्रेग्नेंट महिलाओं के मन में यह जिज्ञासा पूरी गर्भावस्था तक रहती है की उसके गर्भ में पल रहा शिशु लड़का है या लड़की। इसलिए हम ने इस आर्टिकल में कुछ पारंपरिक तरीको के बारे में बताया है जिस से कोई गर्भवती महिला आसानी से अपने घर पर ही पता लगा सकती है।