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गोद भराई की रस्म (godh bharai rasam) की सम्पूर्ण जानकारी

Home child care  के इस आर्टिकल में हम गोद भराई (baby shower in hindi)  या गोद भराई की रस्म (godh bharai rasam) के बारे में विस्तार से जानेंगे।

गोद भराई की रस्म - godh bharai rasam
गोद भराई की रस्म – godh bharai rasam

भारतीय संस्कृति कई तरह के रस्मों-रिवाजों से सजी है। अलग अलग प्रान्तों में अलग अलग तरीकों से कई तरह की रस्में हम देखते है। ऐसे ही प्रेगनेंसी के बाद और शिशु के जन्म के पूर्व एक रस्म हमारे देश में मनाई जाती है, जिसे गोद भराई कहते है। साथ ही गोद भराई को हिन्दू संस्कृति के 16 संस्कारों में से एक संस्कार भी माना जाता है।

Baby shower in hindi और baby shower meaning in hindi का सरल अर्थ गोद भराई ही होता है, साथ ही देश के विभिन्न प्रान्तों में गोद भराई की रस्म ( godh bharai ki rasam ) को अलग अलग नामों से जाना जाता है, जैसे उत्तरी राज्यों में इसे “गोद भराई”, पश्चिम में याने बंगाल प्रान्त में इसे “शाद”, दक्षिण की और तमिलनाडु में इसे “वलकप्पू” , केरल में “सिमंथाम”, और पूर्वी राज्यों जैसे महाराष्ट्र में “डोहाळे जेवण” तथा गुजरात में  इसे “श्रीमंत” कहाँ जाता है। और इंग्लिश में इसे “baby shower” कहते है जो आज के दौर में काफी प्रचालित शब्द है।

गोद भराई क्या है ? – what is baby shower in hindi

जब भी कोई महिला गर्भ धारण करती है, तब गर्भावस्था के 6 माहे उपरांत और 8 वे माह के पूर्ण गर्भ में पल रहे शिशु  के स्वागत के लिए पारिवारिक सदस्यों द्वारा किया जानेवाला एक उत्सव है, गोद भराई। जिस में पेट में पल रहे शिशु और माँ के स्वस्थता, सुदृढ़ता और सर्वांगीण विकास की कामना के साथ गोद भराई की रस्म ( godh bharai ki rasam) की जाती है।

आम तौर पर ऐसी मान्यता है की जब भी कोई महिला अपने शिशु को जन्म देती है, उस के साथ ही उस महिला को भी एक नया जीवन मिलता है। प्रेगनेंसी में मानसिक और शारीरिक तौर पर प्रेग्नेंट महिला कमजोर ना पड़ें, उसे मानसिक आधार मिले इसलिए इस कठिन दौर में पारिवारिक सदस्यों का साथ होना अनिवार्य होता है, जो गोद भराई के रस्म से उजागर होता है।

गोद भराई रस्म का सरल अर्थ गर्भवती माँ के साथ होनेवाले शिशु  के स्वास्थ की कामना कर उसका स्वागत करना और माँ एवं शिशु के लिए माँ की गोद  उपहरों से भरना भी होता है। जिसे थोड़े बहुत बदलाव के साथ पुरे देश में मनाया जाता है।

गोद भराई कब की जाती है? godh bharai rasam in hindi kab ki jati hai

गर्भावस्था के छह माह के उपरांत एवं 8  माह के भीतर गोद भराई की रस्म (baby shower in hindi ) करने का समय होता है। याने आमतौर पर सातवें महीने में इसका आयोजन होता है। इस के पीछे यह मान्‍यता है कि इस समय में माँ और गर्भ में पल रहा शिशु पूरी तरह से सुरक्षित होता है।

प्रेगनेंसी के शुरवाती दौर में गर्भवती महिला को कई बदलावों से गुजरना पड़ता है, मूड स्विंग होना, सिकनेस के साथ साथ कई तरह की शारीरिक एवं मानसिक त्रासदी से एक महिला गुजरती है, प्रेगनेंसी के दौरान लगभग छह माह तक ऐसे बदलाव आम होते है। छह माह के उपरांत प्रेगनेंसी में एक स्थिरता आती है, गर्भ में लडके की हलचल भी शुरू हो जाती है। ऐसे में किसी उत्सव का आयोजन गर्भवती महिला के लिए सुखावह होता है, जिस से उस के मन में पाजिटिविटी क्रिएट होती है।

इसी आधारभूत कारणों से छह माह के उपरांत और गर्भावस्था के 8 वे माह के पहले गोद भराई की रस्म का आयोजन करने की प्रथा समाज में प्रचलित हो गयी है।

कैसे होती है गोद भराई की रस्म ? godh bharai rasam in hindi

हम आप को पहले ही बता चुके है की अलग अलग प्रान्तों में गोद भराई करने का तरीका थोडा बहुत अलग होता है, लेकिन सभी जगह पर होनेवाले शिशु एवं माँ के स्वास्थ की कामना करना ही मूल उद्देश्य होता है।

गोद भराई रस्म में गर्भवती माँ के साथ होनेवाले शिशु को उपहार भी दिए जाते हैं। कुछ परिवारों में इस अवसर पर घर की बड़ी-बुज़ुर्ग महिलाएं खास तेल से गर्भवती का अभिषेक करती हैं। इसके बाद गर्भवती महिला को साड़ी पहनाकर फूलों से सजाया जाता है। हाथों में चूड़ियां और अन्य आभूषणों से भी गर्भवती महिला को सजाया जाता है।

समारोह में शामिल होने के लिए खासतौर पर महिलाओं को दावत दी जाती हैं। पूजा-पाठ के साथ नाच-गाना, हंसी मज़ाक अन्य रीति-रिवाज़ सभी गोद भराई का हिस्सा होता है।

वैसे से देश के कई हिस्सों में थोड़े बहुत बदलाव के साथ इस रस्म को मनाया जाता है, आओ देखते है कुछ जगह पर गोद भराई की क्या रस्में होती है।

उत्तर भारत – :गोद भराई”

उत्तर भारत में godh bharai के दिन प्रेग्नेंट महिला को नये और सुन्दर वस्त्र पहनाये जाते है,  साथ ही गहनों तथा फूलों से श्रृंगार करके घर के मुख्य द्वार के बाहर बैठाते हैं। जब गर्भवती महिला घर में प्रवेश करती है तो घर की अन्य महिलाएं मांगलिक एवं गोद भराई के गीत गाकर उसका स्वागत करती हैं। और बाद में सभी उपस्थित  महिलाऐं गर्भवती महिला के माथे पर तिलक लगाकर माँ और पेट में पल रहे शिशु के स्वस्थता की कामना कर आशीर्वाद देती हैं।

इसके बाद घर में देवीदेवताओं की पूजा की जाती है। और पूजा के बाद गर्भवती महिला को मिठाईयां, फल तथा उपहार प्रदान किया जाता है, साथ ही गर्भवती महिला को केसर मिश्रित दुध का एक ग्लास दिया जाता है तथा मां के हाथ में एक रक्षाकवच ( अभिमंत्रित धागा)भी बाधा जाता है।

बंगाल – “शाद”

बंगाल में गर्भवती महिला को बंगाली खाद्य पदार्थों को खिलाने के साथ ही पूजा की जाती है। महिला की पूजा के लिए आयोजित होने वाले अनुष्ठान में गर्भवती महिला की इच्छाओं की पूर्ति की जाती है। गर्भवती महिला को उसकी सास के द्वारा नये कपड़े दिये जाते हैं। जिसे पहनाकर उसे पुजा के लिए तैयार किया जाता है।

बंगाली परंपरा के अनुसार मछली तथा भात ( चावल) महिला को दिया जाता है। जिसे मछली के सिर को चावल के साथ एक बड़ी चांदी की थाली में परोसा जाता है। इसके अलावा उसे मंत्र तथा पूजा पाठ के द्वारा सुरक्षा प्रदान की जाती है। जिससे महिला तथा बच्चा दोनों सुरक्षित रहें।

केरल – “सिमंथाम”

देश के दक्षिणी भाग केरल में सिमंथाम नाम से गोद भराई की रस्म निभाई जाती है, जिस  किसी महिला के गर्भवती होने के पांचवें, सातवें या नौवें माह में इसका आयोजन किया जाता है। तमिलनाडु में यह परम्परा है की सिमंथाम में केवल विवाहित महिलाओं ही गर्भवती महिला को आशीर्वाद देने के लिए आमंत्रित किया जाता है। गर्भवती महिला को अपने ससुराल वालों द्वारा एक नई साड़ी भेंट की जाती है। जिसे पहनाकर उसके हाथों तथा चेहरे पर हल्दी का लेप लगाया जाता है। इसके बाद उसे तैयार कर उसके बालों को फूलों से सजाया जाता है। इसके बाद बच्चे की सुरक्षा के लिए मंत्र का जाप किया जाता है।

महाराष्ट्र –  “डोहाळे जेवण”

गर्भावस्था के सातवें या नवें माह में मराठी परिवार में  “डोहाळे जेवण” नाम का आयोजन मराठी परिवारों में होता है। डोहाळे का शाब्दिक अर्थ कुछ खाद्य पदार्थ प्राप्त करने की लालसा होता है। इस समारोह में गर्भवती महिला को उसकी इच्छा के अनुसार भोजन करने की इच्छा को पूरा किया जाता है।

इस अवसर पर गर्भवती मां को फूलों के हार की माला को पहनाया जाता है। उसे घर के पुजा मंदिर के पास बैठाकर पौष्टिक खाद्य पदार्थो से भरी थालियों को रखा जाता है। इस थालियों में खाद्य पदाथों के साथ फल मेंवें भी होते हैं। जिसे एक काले कपड़ो से ढका जाता है। जिससे कोई भी यह देखने में असमर्थ हो जाता है कि अंदर क्या है।

इसके बाद महिला को किसी एक थाली को छूने के लिए बोला जाता है जिसे बाद में परिवार के सभी लोगों को बताया जाता है कि इस थाली में यह खाद्य पदार्थ था। इस खाद्य पदार्थ से सभी लोग होने वाले शिशु के लिंग का अनुमान लगाते हैं। मराठी में लगभग सभी खाद्य पदार्थों को उनके लिंग के अनुसार जाना जाता है।

तमिलनाडु – “वलकप्पू”

तमिलनाडु में “वलकप्पू”  गर्भवती महिला के परिवार द्वारा गर्भावस्था के तीसरे तिमाही के दौरान पति के जन्म या विशेष रूप से 7 वें महीने में रहने की जगह पर आयोजित किया जाता है।  गर्भवती महिलाओं को विषम संख्या में दोनों हाथों में चूड़ियों से सजाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि चूड़ी की आवाज बच्चे की इंद्रियों और मस्तिष्क की गतिविधि को प्रेरित करती है।

शरीर की गर्मी को कम करने और बच्चे के जन्म के डर और चिंता से माँ और बच्चे को शांत करने के लिए चंदन और हल्दी से बना लेप होने वाली माँ के हाथों और चेहरे पर लगाया जाता है। मेहमान उसके दोनों हाथों पर चूड़ियाँ रखते हैं, फिर उसे फूलों से नहलाते हैं और एक सुरक्षित प्रसव के लिए शुभकामनाएँ और प्रार्थना करते हैं।

गुजरात – “श्रीमंत”

गुजरात में गोद भराई की रस्म को श्रीमंत कहाँ जाता है, इस समारोह में गर्भवती महिला को उसकी भाभी (या उसके पति के परिवार की कोई अन्य महिला) के सामने बैठाया जाता है। वे समृद्धि, बहुतायत और स्वास्थ्य के प्रतीक के रूप में पानी के साथ एक पूरे नारियल का आदान-प्रदान करते हैं- नदियल और चावल (कुछ परिवार मूंग और तिल जैसे अन्य अनाज भी डालते हैं)।

सात बार इसका आदान-प्रदान करते हैं। विनिमय पल्लू या गर्भवती महिला की कमर के चारों ओर बंधे दुपट्टे में किया जाता है और यह सुनिश्चित करने के लिए कि फर्श पर कुछ भी न गिरे। प्रत्येक आदान-प्रदान के बाद भाभी या समारोह में भाग लेने वाली कोई भी महिला गर्भवती महिला के इर्द-गिर्द घूमती है। इसे सात बार करना होता है।

फिर देवर ने धीरे से कंकू- कुमकुम लाल पाउडर डुबोई हुई उँगलियों को गर्भवती महिला के गालों पर हलके से लगाना होता है। (ऐसा देवरउसे याद दिलाने के लिए डालता है कि अब आप मुझे मत भूलना।

इस तरह से देश के अलग- अलग हिस्सों में गोद भराई की यह रस्म अलग – अलग नामों से मनाई जाती है।

गोद भराई रस्म का क्या है महत्व ? godh bharai ki rasam in hindi

हमारे संस्कृति में कई तरह की रस्मे चलती आ रही है, और सभी रस्मों-रिवाजों को कई तरह से वैज्ञानिक आधार भी होता है। उसी तरह गोद भराई के इस रस्म का भी वैज्ञानिक महत्व है, जो हमें समझना होगा।

  • इस रस्म में स्वस्थ शिशु की कामना की जाती है, उस के लिए पूजा अर्चा की जाती है, जो एक माँ को अपने शिशु के स्वस्थ पैदा होने के लिए आश्वस्त करती है। जिस से गर्भवती महिला में ऐसी सकारामक उर्जा एक्टिव होती है। जो घरभ में पल रहे शिशु के विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
  • साथ ही हमारे संस्कृति में ऐसी मान्यता है की विशेष पूजा-अर्चना से गर्भ में पल रहे भ्रूण सम्बन्धी सभी दोषों का नाश होता है। लेकिन इसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से नही देखा जा सकता।
  • गोद भराई में गर्भवती महिला को विशेष उपहार के रूप में कई तरह के फल, सूखे मेवें आदि दिए जाते है। एक गर्भवती माँ के स्वास्थ के लिए और पेट में पल रहे शिशु के विकास के लिए जरुरी पोषकतत्व की आवश्यकता होती है, जिस की भरपाई इन विशेष उपहारों से होती है।
  • गोद भराई की रस्म खुशिया एवं आनंद का माहौल तैयार करती है, जिस से गर्भवती महिला का का तनाव काफी कम हो जाता है, जो पेट में पल रहे शिशु के लिए काफी महत्वपूर्ण भी है।
  • इस रस्म को सातवें महीने में मनाने का वैज्ञानिक कारण यह भी है की सातवें महीने में पेट में पल रहे शिशु के कान या उसके सुनने की शक्ति का विकास होता है।

 गोद भराई के लिए कुछ सुझाव baby showering ceremony ke sujhav

गोद भराई गर्भवती महिला और उस के परिवार के लिए एक साथ आने और आपकी गर्भावस्था में शिशु के आने की खुशी का जश्न मनाने का एक विशेष उत्सव होता हैं। इसलिए जरुरी है की एक गर्भवती महिला उसके इस विशेष दिन का पूरा आनंद ले। इस के लिए हमने निचे कुछ सुझाव दिए गए हैं, जो एक गर्भवती महिला के लिए जरुरी है।

  1. गोद भराई समारोह से पहले पर्याप्त आराम करना गर्भवती महिला के लिए बेहतर रहता हैं। क्यों की इस दौरान किसी भी गर्भवती महिला की दिनचर्या काफी व्यस्त हो सकती हैं जिससे आप थकावट महसूस कर सकती हैं।
  2. गोद भराई के रस्म के लिए जरुरी है की आप मौसम के अनुसार अपने परिधानों को चुने, जिस से समारोह के दौरान आप को असहज महसूस ना हो।
  3. गोद भराई (godh bharai rasam) में तैयार किया जाने वाला भोज काफी विस्तृत होता हैं। इसमें मिठाइयां और तले हुए चटपटे व्यंजन भी शामिल होते हैं। इसलिये आप कोशिश करें कि अपने पसंदीदा व्यंजन को थोड़ी मात्रा में लें और अगर आपका पेट भर गया हो तो अतिरिक्त भोजन के लिए नम्रतापूर्वक मना कर दे।
  4. यदि आप अपने मेहमानों के लिए कुछ करना चाहती हैं तो उनके मनोरंजन के लिए आप मेहंदी लगाने वाले कुछ कलाकारों का प्रबंध कर सकती हैं। वह मेहमानों के हाथों में मेहंदी के टैटू या डिजाइन बना सकते हैं।
  5. अपना शुक्रिया अदा करने के लिए आप मेहमानों को दुपट्टे, ओढ़नी, स्कार्फ़, सुंदर चूड़ियां, सौंदर्य प्रसाधन, इत्र या सेंट की बोतल, कुमकुम टिका बिंदी का सेट आदि वापसी उपहार के तौर पर दे सकती हैं। अपनी गोद भराई का अनुभव आप अपने बर्थ क्लब में अन्य गर्भवती महिलाओं के साथ भी साझा कर सकती हैं।

गोद भराई रस्म के सवाल – FAQ

गोद भराई में क्या क्या सामग्री लगती है?

जवाब :- इस आर्टिकल के माध्यम से हम बता चुकें है की हमारे देश में गोद भराई की रस्म अलग-अलग प्रान्तों में अलग-अलग तरीकों से निभाई जाती है, इसलिए अलग- अलग जगह लगनेवाली सामग्री में भी विविधता हो सकती है। लेकिन आमतौर पर देखा जाये तो इसे महिलाओं का समारोह के तौर पर देखा जाता है, इसलिए समारोह में गर्भवती महिला को आभूषणों से सजाया जाता है, चूड़ियाँ पहनाई जाती है। उपहारों, फलों व मिठाइयों से गोद भरी जाती है। गर्भवती माँ के लिए ख़ास व्यंजनों की दावत भी होती है।


गोद भराई की रस्म कब करनी चाहिए?

जवाब :- उपरोक्त आर्टिकल में इसका जवाब हमने दिया है,  गोद भराई की रस्म (godh bharai rasam) का आयोजन करने का सबसे अच्छा समय 6 से 8 महीनों के बीच यानी गर्भ के 28-32 हफ्ते के बीच में होता है। क्योंकि इस समय के दौरान गर्भवती महिल अधिक शांत और सहज अनुभव करती है।


बेबी शावर क्या होता है?

जवाब :- बेबी शावर यह एक अंग्रेजी शब्द है, जिसे हिंदी में गोद भराई कहाँ जाता है, baby shower in hindi और baby shower meaning in hindi इन सभी का मतलब गोद भराई ही है।


आंगनबाड़ी केंद्र में गोद भराई कैसे की जाती है?

जवाब :- भारत सरकार द्वारा आंगनबाड़ी केंद्र में गोद भराई की रस्म की जाती है जिस में गर्भवती महिलाओं को पोषक आहार वितरण के साथ बेहतर पोषण और प्रसवपूर्व जांच की जानकारी दी गई। सरकार बेहतर पोषण के लिए विभिन्न कार्यक्रमों को संचालित करती है। इसके तहत प्रत्येक माह की सात तारीख को आंगनबाड़ी केन्द्रों पर सात से नौ महीने की गर्भवती महिलाओं की गोद भराई कराई जाती है।


संबोधन

गोद भराई रस्म (godh bharai rasam)  या जिसे हम baby shower in hindi भी कहते है इस की पूरी जानकारी इस आर्टिकल में दी गयी है। अगर godh bharai ki rasam की यह जानकारी आप को अच्छी लगी तो आप इसे अपने दोस्तों में शेयर कर सकते है।

गोद भराई की रस्म - godh bharai rasam
गोद भराई की रस्म – godh bharai rasam

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