क्या हम नॉर्मल डिलीवरी के लक्षण जान सकते है? और नार्मल डिलीवरी के उपाय क्या होते है? इन दोनों टॉपिक को इस आर्टिकल में कवर करेंगे।
जब कोई महिला पहिली बार प्रेग्नेंट होती है, तब उसके दिमाग में कई तरह के सवाल होते है। जो कई बार उन महिलाओं को मानसिक रूप से भयभीत कर सकते है।प्रेगनेंसी के दौर में महिलाओं के मन में बार-बार आनेवाला सवाल होता है क्या उनकी डिलीवरी नार्मल होगी या सिजेरियन? सिजेरियन डिलीवरी के मुकाबले नॉर्मल डिलीवरी बेहतर है। डॉक्टर भी अंतिम समय तक नॉर्मल डिलीवरी के लिए ही प्रयास करते हैं।
लेकिन प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं के मन में उठ रहा यह सवाल उनको मानसिक तौर पर कमजोर कर सकता है, इसलिए हम आप को प्रेगनेंसी के दौरान नॉर्मल डिलीवरी के लक्षण बताने जा रहे है, जिसे जानकर आप खुद यह अंदेशा लगा सकती है की आप की डिलीवरी नार्मल होगी।
नॉर्मल डिलीवरी के लिए प्रेग्नेंट महिला की सामान्य एक्टिविटीज के साथ, ब्लड प्रेशर भ्रूण की स्थिति सामान्य होनी आवश्यक होती है। आइये जानते हैं प्रेग्नेंसी के आखिरी महीने में दिखने वाले कुछ लक्षण के बारे में जिससे नार्मल डिलीवरी का अंदाजा लगाना आसान हो जाता है।
नॉर्मल डिलीवरी के लक्षण
शिशु का कम मोवमेंट करना
डिलीवरी के कुछ हफ्ते पहले जब महिला का शरीर डिलीवरी की और बढ़ता है तो शिशु पेल्विस के हिस्से में पहुंच जाता है। डिलीवरी के आखिरी दिनों में पेल्विस के हिस्से में शिशु के आने से उसकी मूवमेंट कम हो जाती है। प्रेगनेंसी के आखरी दौर में शिशु का कम मोवमेंट करना सामान्य डिलीवरी का लक्षण माना जाता हैं।
पेल्विस और लिंगामेंट के हिस्से मुलायम महसूस होना
रिलैक्सिन हार्मोन के प्रभाव से जब प्रेग्नेंट महिला के प्रजनन अंग जीने पेल्विस और लिंगामेंट कहाँ जाता है वह हिस्से मुलायम महसूस होने लगते है जिस से आप नॉर्मल डिलीवरी का अंदाजा लगा सकते हैं।
vaginal का चौड़ा होना
प्रेग्नेंसी के आखिरी महीने में सामान्य डिलीवरी से VAGINAL (योनी का मुख ) जिसे गर्भाशय की ग्रीवा भी कहाँ जाता है वह अधिक चौड़ी हो जाती है। इसकी जांच चिकित्सक प्रेग्नेंसी के आखिरी महीने में कर सकते हैं।
बार-बार यूरिन होना
प्रेग्नेंसी के आखिरी महीने में बार-बार पेशाब का आना शिशु के सिर से मूत्राशय पर पड़ने वाले दबाव के कारण होता है।महिला की गर्भावस्था के आखिरी महीने में अगर बार-बार यूरिन आने लगे तो इसे सामान्य डिलीवरी का संकेत माना जाता है।
मल का पतला होना
प्रेगनेंसी के आखरी महीने में गुदा की मांसपेशियों का रिलैक्स होना शुरू हो जाता है इसकी वजह से मल भी पतला आने लगता है। जो नार्मल डिलीवरी का लक्षण माना जाता है।
इस तरह के लक्षणों पर ध्यान देने पर हम नार्मल डिलीवरी के संकेतों को जान सकते है। इस के साथ आप सम्बन्धित सवाल के लिए अपने डॉक्टर्स, चिकित्सक एवं विशेषज्ञों से राय ले सकते है।इस के साथ हम इस आर्टिकल में आप को कुछ नॉर्मल डिलीवरी के घरेलू उपाय के बारे में जानकारी भी देंगे। .
क्या है नार्मल डिलीवरी के उपाय
हर प्रेग्नेंट महिला चाहती है की उसकी डिलीवरी नार्मल तरीकें से हो। वह ऐसा इसलिए चाहती है, क्योंकि सिजेरियन डिलीवरी के बाद का समय हमेशा नॉर्मल डिलीवरी की अपेक्षा में थोड़ा मुश्किल और दर्दभरा हो सकता है।
सिजेरियन डिलीवरी के बाद शिशु के साथ साथ माँ की अच्छे से देखभाल करना जरुरी हो जाती है ताकि वह जल्दी स्वस्थ होकर वापस अपने सामान्य जीवन में लौट सकें। सिजेरियन के बाद नॉर्मल रूटीन में वापस आने के लिए कम से कम 8 हफ़्ते से 10 हफ्ते का समय लग सकता है। यदि सिजेरियन डिलीवरी के बाद गर्भवती महिला की सही से देखभाल न कि जाए तो यह उस महिला के लिए खतरनाक साबित भी हो सकता है।
नॉर्मल डिलीवरी के लिए गर्भवती महिलाएं निचे बताये गयें कुछ नार्मल डिलीवरी के उपाय कर सकती है, जिस से गर्भवती महिला के नॉर्मल डिलीवरी होने की संभावनाएं काफी हद बढ़ सकती है।
- प्रेगनेंसी के दौरान अपने भोजन और नाश्तें में ताजे फल, जुस, आवश्यक मिनरल्स , विटामिन और प्रोटीन से भरपूर आहार का सेवन करना प्रेग्नेंट महिला के लिए आवश्यक है, यह आपकी शारीरिक, मानसिक क्षमता बढ़ने के लिए जरुरी है, जो नॉर्मल डिलीवरी में सहायक साबित होता है।
- गर्भवती महिला को चिकित्सक एव विशेषज्ञ जो भी सलाह देते है, खान-पान सम्बन्धी जो भी सूचनाएं करते है उसका पालन जरूर करना चाहिए। नार्मल डिलीवरी के लिए आप के शरीर में ताकद और योग्य पोषण को होना अनिवार्य है।
- प्रेगनेंसी के दौरान गर्भ में भ्रूण के विकास के लिए पर्याप्त कैल्शियम और आयरन की जरूरत होती है जो उसे अपने माँ के शरीर से मिलता है, ऐसे में प्रेग्नेंट महिला के शरीर में कैल्शियम और आयरन की कमी हो सकती है, इसलिए अपने भोजन में अधिक आयरन और कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थों को को शामिल करें।जिस से नार्मल डिलीवरी की संभावनाएं भी बढ़ जाती है।
- प्रेग्नेंट महिला के लिए वाकिंग करना एक अच्छा व्यायाम माना जाता है। और कई डॉक्टर्स एवं विशेषज्ञ गर्भावस्था के दौरान वाकिंग की सलाह देते है। यह नार्मल डिलीवरी के लिए फायदेमंद साबित होता है।
- हम सभी को पता है योग और व्यायाम स्वस्थ शरीर के लिए कितने लाभदायक सिद्ध होते है। गर्भावस्था के दौरान भी योग और व्यायाम करना फायदेमंद माना जाता है साथ ही योग और व्यायाम नॉर्मल डिलीवरी होने में मददगार साबित होते है। लेकिन गर्भावस्था में कौन से योग और व्यायाम करना चाहिए, यह जानना भी आप के लिए जरुरी है। इसलिए डॉक्टर या विशेषज्ञ की सलाह से ही गर्भावस्था के दौरान योगा और व्यायाम करें।
- डिलीवरी के समय खून की कमी परेशानी की वजह बन सकती है। और नार्मल डिलीवरी में भी रूकावट बन सकती है। इसलिए यदि डॉक्टर गर्भवती महिला के शरीर में खून की कमी को उजागर करते है तो डॉक्टर्स द्वारा बताई गई दवाइयों का सेवन सलाह नुसार समय पर जरूरकरना चाहिए।
- गर्भावस्था के दौरान किसी भी तरह की नशीली चीजों का सेवन आप के लिए परेशानी का कारण बन सकता है, इसलिए गर्भावस्था के दौरान सिगरेट, शराब आदि नशे का सेवन नहीं करना चाहिए। यह नार्मल डिलीवरी में परेशानी खडी कर सकता है।
- वजन उठाने वाले और अन्य भारी काम गर्भावस्था के दौरान नहीं करें, लेकिन सामान्य रूटीन में जो काम आप करते थे वह प्रेगनेंसी के दौरान भी जारी रखें। आप की शारीरिक हलचल नॉर्मल डिलीवरी में सहायक होती है।
- प्रेगनेंसी के दौरान हमेशा खुद को सकारात्मक और खुश रखना चाहिए, यह आपको मानसिक तौर पर मजबूत रहने के लिए बेहद जरुरी है। क्यों की नॉर्मल डिलीवरी के लिए आप का मानसिक तौर पर मजबूत होना बहुत जरूरी है।
- गर्भावस्था के दौरान गर्भवती स्त्री को उचित मात्रा में नींद लेना बेहद आवश्यक होता है। इसलिए योग्य और समय पर भरपूर नींद लें। . .
- गर्भवती महिला को चाहिए कि गर्भावस्था के दौरान अपना सही वजन को बनाए रखें। इसे गर्भावस्था के लिए आवश्यक सामान्य वजन से ज्यादा नहीं बढ़ने देना चाहिए ना ही गर्भावस्था के दौरान वजन में कोई कमी हो।
अगर प्रेगनेंसी के दौरान ऐसे सामान्य घरेलु उपायों को सही तरीके से किया जाएँ , उपरोक्त बातों का ख्याल रखा जाएँ तो यक़ीनन नार्मल डिलीवरी की संभावनाएं काफी हद तक बढ़ जाती है।
संबोधन
प्रेगनेंसी के दौरान दिखनेवाले नॉर्मल डिलीवरी के लक्षण कैसे जाने? क्या है नार्मल डिलीवरी के उपाय? के इस आर्टिकल में हम ने नॉर्मल डिलीवरी के लक्षण और नार्मल डिलीवरी के उपाय ऐसे दोनों टॉपिक को कवर किया है। सिजेरियन डिलीवरी के मुकाबले नॉर्मल डिलीवरी बेहतर होती है। डॉक्टर भी अंतिम समय तक नॉर्मल डिलीवरी के लिए ही प्रयास करते हैं। फिर भी कुछ परिस्थितियों में डॉक्टर सिजेरियन करने का निर्णय लेना आवश्यक हो जाता हैं जो माँ एवं शिशु के जोखिमों को काफी हद तक कम करता है।
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