प्रेगनेंसी में क्या पढ़ना चाहिए और क्यों पढना चाहिए? अगर यह सवाल आप के मन में है तो यक़ीनन यह आर्टिकल आप के लिए है। यह आर्टिकल आप को गर्भावस्था के दौरान क्या पढना चाहिए और यह जरुरी क्यों है? इन दोनों सवालों के जवाब दे सकता है।
गर्भ में एक माँ और शिशु का सम्बन्ध काफी भावनिक होता है, इसलिए गर्भावस्था में एक माँ के लिए जरुरी है की वह तनाव या किसी उलझन भरी मानसिक स्थिति से दूर रहे, साथ ही एक माँ के विचार गर्भ में शिशु को काफी प्रभावित करते है। जिस का प्रभाव कही न कहीं आजीवन उस शिशु पर रहता है। इसलिए यह काफी महत्वपूर्ण टॉपिक हो जाता है की प्रेगनेंसी में क्या पढ़ना चाहिए साथ ही अपने विचारों को एक उन्नत दिशा एक माँ के द्वारा कैसे दी जाती है।
प्रेगनेंसी में क्यों पढ़ना चाहिए?
एक स्त्री के लिए गर्भावस्था उस के जीवन का अहम पड़ाव होता है, जहाँ वह एक नयें जीवन को जन्म देती है। जैसे जैसे एक माँ के गर्भ में शिशु बढ़ता जाता है वैसे वैसे माँ के साथ उस का भावनिक जुड़ाव भी बढ़ता जाता है। गर्भ से ही एक शिशु अपने माँ को पहचानने लगता है। और साथ ही माँ के गर्भ से ही शिशु का शारीरिक और मानसिक विकास शुरू हो जाता है।
ऐसे में एक माँ के शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते है जो माँ के सोच और विचारों को काफी प्रभावित करते है, जिस से उस का मूड स्विंग हो जाना आम हो जाता है, विचारों और सोच में होनेवाला बदलाव माँ को पल में तनाव से ग्रस्त कर देता है, तो पल में ही उस में उदासी भर देता है या ख़ुशी का एहसास कराता है, और गर्भावस्था के दौरान ऐसी बातें होना आम बात होती है। ऐसे में एक माँ के लिए जरुरी है की वह अपने अच्छे विचारों को अपने भावों के साथ जोड़ें ताकि अपने गर्भ में पल रहे शिशु के बौद्धिक तथा मानसिक विकास को अच्छे से आगे बढ़ा पायें।
एक माँ प्रेगनेंसी के दौरान अपने होनेवाले शिशु के बारे में, अपने pregnancy के बारे में, बच्चे के जन्म के बारे में कई तरह से सोचती है, अगर प्रेगनेंसी के दौरान एक माँ के मन में आनेवाले सवालों के जवाब अगर उसे मिलते है तो यक़ीनन उस में काफी सकारात्मक बदलाव देखा जा सकता है। और इस के लिए प्रेगनेंसी में पढ़ना चाहिए।
अब सवाल है की हमें प्रेगनेंसी में क्या पढ़ना चाहिए ? क्यों की कई तरह क लेखन आज उपलब्ध है, जिस में नकारात्मक प्रभावों से जुड़ी किताबें भी मौजूद है, जो हमें निराशा, तनाव की ओर धकेल सकती है। इसलिए यह जानना काफी महत्वपूर्ण है, की प्रेगनेंसी में हमें क्या पढ़ना चाहिए? आओ जानते है।
प्रेगनेंसी में क्या पढ़ना चाहिए?
यह जरुरी नही की आप को प्रेगनेंसी के दौरान पर्टिकुलर ही किताबे पढनी चाहिए, ऐसा बिलकुल नही है। आप की रूचि अनुरूप आप ऐसा कुछ भी पढ़ सकती है जो आप के विचारों को सकारात्मकता की ओर ले जाएँ। आप के भीतर तनाव को कम कर सकें और आप के मन को शांत करें और ख़ुशी से भर दें।
इस में कोई कॉमिक बुक्स या मॅगजिन भी हो सकती है, या किसी तरह की धार्मिक किताबें हो सकती है, या वीर पुरुषों की यशोगाथा हो सकती है, या दैनिक समाचार भी हो सकते है, या आप के pregnancy से जुडी किताबे हो सकती है जो आप को भीतर चल रहे सवालों के जवाब देने में सक्षम हो। लेकिन जरुरी यह है की आप क्या पढ़ रही है? जो आप पढ़ रही है, क्या वह आप की सोच या विचारों को एक सकारात्मक दिशा देने के लिए महत्वपूर्ण है, जिस का सीधा असर आप के पेट में पल रहे शिशु पर होता है।
प्रेगनेंसी में यह पढना चाहिए।
आप किस तरह के सामाजिक स्थिति में रहनेवाली महिला है?, आप के शिशु के भविष्य के प्रति आपके क्या सपने है? और किस तरह से आप उस सोच को आगे बढाने के लिए सकारात्मकता का निर्माण कर सकती है? इन बातों को ध्यान में रखकर आप कई तरह के विषयों को प्रेगनेंसी के दौरान पढ़ सकती है। जैसे,
- धार्मिक किताबें
- वीरों और महा पुरुषों की यशोगाथायें
- प्रेगनेंसी से जुडी किताबें
- शिशु के देखभाल सम्बन्धित किताबें
- हास्य-विनोद से जुडी किताबें
- दैनंदिन समाचार या मॅगजिन
- विशेषज्ञों के ब्लोग्स और आर्टिकल
धार्मिक किताबें
हर व्यक्ति के जीवन में धर्म एक महत्वपूर्ण पैलू होता है, चाहे वह व्यक्ति किसी भी धर्म से क्यों न जुड़ा हो। हमारे जीवन में धार्मिक ग्रंथों का महत्व कई अधिक मायने रखता है, जिसे पढने पर हमारे विचार शुद्ध होते है, मन और चित्त को शांति मिलती है, इसलिए यदि आप अपनी प्रेगनेंसी के दौरान अपने धर्म या किसी भी अन्य धर्म से जुड़ी हुई धार्मिक किताबों का अध्ययन कर सकती हो,
जैसे- रामायण, रामचरित मानस, सुन्दर कांड, श्रीमद भगवत गीता, कुरान, गुरुग्रंथ साहिब और बाइबिल इत्यादि। ज़ब किसी भी आध्यात्मिक किताबों का अध्ययन करती हैं तो इन्हें पढ़ने से आपका मन शांत रहता है, साथ ही आपके होने वाले शिशु पर भी इसका सकारात्मक असर पड़ेगा जो आप के शिशु को संस्कारित करने में आप की मदद करेगा।
वीरों और महा पुरुषों की यशोगाथायें
वीर और महापुरुषों की गाथाएँ हमारे जीवन में कई तरह से प्रेरणास्त्रोत होती है, जिस से हमें वीर पुरुषों का संघर्ष हमें जीवन के प्रति सकारात्मकता को दिशानिर्देशित करता है। जब कोई माँ अपने गर्भावस्था के दौरान संघर्ष गाथाओं का वाचन करती है, तब वह नै प्रेरणा के साथ आत्मविश्वास और सकारात्मक दृष्टिकोण से ओतप्रोत होती है, जो उस के गर्भ मन पल रहे शिशु के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होता है।
प्रेगनेंसी से जुडी किताबें
प्रेगनेंसी में क्या पढ़ना चाहिए? इस सवाल का एक सरल जवाब है की जब कोई महिला प्रेग्नेंट होती है, तब वह अपने प्रेगनेंसी के बारें में ज्यादा सोचती है, या फिर कहे की कई तरह के नाकारात्मक पहेलुओं के बारे में विचार करती है, जिस से मन के भीतर तनाव, उदासीनता, नैराश्य, हतबलता क्रिएट होती है, जो उस महिला और उस के पेट में पल रहे शिशु पर जबरदस्त नकारात्मक प्रभाव डालता है।
हमारे मन में प्रेगनेंसी से जुड़ें सवालों के उत्तर हमारे विचारों को सकारात्मकता की ओर मोड़ सकते है।ऐसे में जरुरी है की हम प्रेगनेंसी से जुडी किताबों को पढ़ें, ताकि उससे रिलेटेड सवालों के हमें जवाब मिल सकें और हमारे मन में चल रही उलझनों को समाप्त कर सकें।
शिशु के देखभाल सम्बन्धित किताबें
Pregnancy के दौरान कई महिलायें अपने शिशु के बेहतर भविष्य के बारें में सोचती है, शिशु के स्वास्थ, सुदृढ़ता तथा उस के शारीरिक, मानसिक ,बौद्धिक विकास के बारें में सोच कर खुद को काफी प्रभावित करती है। ऐसेर में शिशु के विकास सम्बन्धी विषयों पर अध्ययन कर अपने शिशु के बेहतर विकास के बारें में अपनी एक सोच डेवेलोप कर सकती है।
शिशु के सम्बन्धित शिशु की देखभाल, शिशु का विकास, बौद्धिक और मानसिक तौर पर शिशु का विकास जैसे कई विषयों से जुड़ें पुस्तकें मार्केट या इन्टरनेट पर available होती है, जिसे आप पढ़ सकते है।
हास्य-विनोद से जुडी किताबें
प्रेगनेंसी के दौरान जरुरी है की आप तनाव से दूर रहे, किसी तरह का मानसिक दबाव आप ना लें और खुद को खुश तथा प्रफुल्लित रखने के लिए प्रयास करें, जो आप के गर्भ में पल रहे शिशु के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण बात होती है।
अगर आप पढने में ज्यादा इंट्रेस्टेड नही है, तो आप हास्यविनोद या चुटकुलों की ऐसी किताबें पढ़ सकते है, जो आप को खुश रखने और आप के विचारों को डाइवर्ट करते हो। जिस से आप का स्ट्रेस काफी कम हो जाएगा। और आप के भीतर हार्मोन्स बदलाव से होनेवाले मूड स्विंग से आप खुद को खुशनुमा रखने में भी मदद कर पाओगे।
दैनंदिन समाचार या मॅगजिन
इस दौरान अपनी मनपसंद मॅगजिन और कॉमिक्स पढ़ सकते है जिस से आप अपना बचपन पुनः याद करके उन सुहानी यादों के साथ पल बिता सकते हैं। इसके अलावा देश व दुनिया की दैनंदिन खबरों से अपडेट रहने के लिए रोज़ समाचार पत्र पढ़ सकती है जो आप के तनाव को कम करने में आप की मदद करता है। प्रेगनेंसी में आप गर्भावस्था से जुड़ी या खानपान से जुड़ी मैगज़ीन या पत्रिकाएं भी पढ़ सकती हैं।
विशेषज्ञों के ब्लोग्स और आर्टिकल
प्रेगनेंसी के दौरान कई तरह के सवाल मन में आते है, जो हम किसी को पुछने में हिचकिचाते है, या अपने मन में नही सोचने के लिए मजबूर हो जाते है। ऐसे में हम अपने मोबाइल के द्वारा इन्टरनेट पर सम्बन्धित स्ववालों के लिए विशेषज्ञों के ब्लोग्स अथवा आर्टिकल को पढ़कर सम्बन्धित सवालों के जवाब खोज सकते है। जो हमारे तनाव को कम करने में हमारी मदद कर सकता है।
प्रेगनेंसी में कौन सी किताब पढ़ें महिलाएं?
ज्यादा तर महिलाएं प्रेगनेंसी के दौरान काफी तनाव में रहती है, जिस का मुख्य कारण होता है, pregnancy से related काफी सवाल, जो महिलाओं को अन्दर ही अन्दर काफी परेशान करते है। खास कर जो महिलाएं पहिली बार अपनी गर्भावस्था में है, वह इस से जुड़ें कई तरह के सवालों से परेशान रहती है। इस के लिए जरुरी है की आप विशेषज्ञों के ऐसे बुक्स पढ़ें जो आप के भीतर चल रहे सवालों के जवाब भी दें सकें और आप की गर्भावस्था में आप की मदद भी कर सकें।
प्रेगनेंसी में क्या पढ़ना चाहिए? इस सवाल से जुड़े कुछ किताबों को हम इस आर्टिकल में बताने जा रहे है जो आप के लिए काफी हेल्पफुल साबित होगी।
गर्भावस्था (Garbhavastha)
गर्भावस्था यह किताब नूतन लखनपाल द्वारा हिंदी भाषा में लिखी गयी है। इस किताब में प्रेगनेंसी से जुड़े सभी पहलुओं के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी गयी है। इस किताब में pregnancy के बाद सभी जरुरी बातों पर गौर किया गया है। pregnancy के बाद महिला के द्वारा लिए जाने वाले आहार तथा स्तनपान व अन्य समस्याओं के बारे में भी काफी विस्तार से जानकारी दी गई है। यह किताब उन महिलाओं के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकती है, जो pregnancy के बारें में काफीज्यादा सोचती है, और तनावग्रस्त रहती है।
क्या करें जब मां बनें? (Kya Kare Jab Maa Bane)
हैइदी मर्कऑफ द्वारा लिखी गई इस पुस्तक में गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के लिए स्वादिष्ट भोजन तथा गर्भ में बच्चे के विकास के लिए सहायक आहार के बारे में पूरी जानकारी दी गई है। जब आप गर्भवती हों तो आपको स्वस्थ, पौष्टिक व स्वादिष्ट भोजन की आवश्यकता होती है जो डिलीवरी के पहले व बाद में आवश्यक होती है। यह पोषणयुक्त आहार मां व शिशु के लिए अति आवश्यक है। गर्भ के समय अपना सही वजन बनाए रखने के लक्ष्य का निर्धरण करें। यदि आपको आपरेशन से शिशु को जन्म देना पड़े तब आपका खानपान विशेष प्रकार का होना चाहिए। इन सभी बातों की संपूर्ण जानकारी इस पुस्तक में दी गयी है। यह पुस्तक आपके और आपके शिशु को सेहतमंद बनाने व बीमारियों से दूर रखने में मददगार साबित होती है।
गर्भावस्था: भारतीय महिलाओं के लिए एक संपूर्ण मार्गदर्शिका
डॉ. विनीता साल्वी खुद एक प्रसूति विशेषज्ञ है, जिनके द्वारा लिखित इस पुस्तक में प्रेगनेंट महिला के सभी सवालों के जवाब मिलते है। डॉ. विनीता साल्वी ने इस किताब में गर्भावस्था के लिए अपने शरीर को कैसे तैयार करें? गर्भावस्था के दौरान हर माह क्या होता है? किस तरह कौन-से लक्षण दिखायी देते हैं? प्रत्येक तिमाही के लिए समस्त जाँच कैसे होती है? प्रेगनेंसी के दौरान क्या खायें और कैसे व्यायाम करें? गर्भावस्था के दौरान बीमार पड़ें तो क्या करें? पहली बार माँ बनाने जा रही अधिक उम्र की महिला सहित उच्च जोख़िम वाली गर्भावस्थाओं से निपटने सम्बन्धित टिप्स और उस से जुड़े सभी सवालों के जवाब दिए है। जो काफी मददगार साबित होते है।
नवजात शिशु एवं माँ की देखभाल
प्रसव के बाद माँ और बच्चे की उचित देखभाल करना काफी आवश्यक होता है। इस पुस्तक में विस्तार से वर्णन किया गया है कि महिलाएं प्रसव के बाद खुद का ख्याल कैसे रखती हैं, जिसमें मानसिक परिवर्तन और शारीरिक परिवर्तन – स्वास्थ्य, भोजन जैसी छोटी चीजें शामिल हैं। स्तनपान, रोग आदि के बारे में विस्तार से बताया गया है। इस दौरान एक टेबल भी दी जाती है कि मां को किस तरह का खाना खाना चाहिए। उसे किस प्रकार के व्यायाम करने चाहिए ताकि वह अपने बच्चे की जल्द देखभाल कर सके।
इस समय के दौरान, माँ को नवजात शिशु की देखभाल के लिए, उसे स्तनपान कराने के सुविधाजनक तरीके और नवजात शिशु की बुनियादी आवश्यकताओं की जानकारी दी जाती है। इसके अलावा, माँ और बच्चे की देखभाल के बारे में कई अन्य बातें, जैसे कि बच्चे का भोजन, बच्चे के कपड़े की पसंद, बच्चे के व्यायाम और मालिश, बच्चे में होने वाली बीमारियों और उनके उपचारों का भी उल्लेख किया गया है। यह पुस्तक प्रत्येक युवा महिला के लिए उपयोगी और पठनीय है।.
आयुर्वेदिक गर्भसंस्कार (Ayurvedic Garbhsanskaar)
प्रसिद्ध आयुर्वेदिक चिकित्सक “ श्री बालाजी ताम्बे” द्वारा मूल रूप से मराठी में लिखा गया, ‘आयुर्वेद गर्भ संस्कार’ एक ऐसी पुस्तक है(अंग्रेजी अनुवाद उपलब्ध ) जो एक ऐसे जोड़े के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करती है जो एक परिवार शुरू करना चाहते हैं, गर्भवती होने से शुरुआत करना, एक स्वस्थ बच्चे को जन्म देना और बच्चे का पालन-पोषण करना। पुस्तक व्यापक रूप से लोगों को वह सब कुछ प्रदान करती है जो एक व्यक्ति गर्भधारण, गर्भावस्था और प्रसव के बारे में जानना चाहता है और 2 साल तक की उम्र तक बच्चे का पालन-पोषण करना चाहता है।
न केवल ज्ञात-व्याख्यानों से लदी एक पुस्तक, बल्कि इस पुस्तक को विभिन्न प्राचीन आयुर्वेदिक प्रथाओं के विस्तार के रूप में देखा जा सकता है जो माँ और बच्चे के शारीरिक, आध्यात्मिक और मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य की पूर्ण भलाई की ओर ले जाती हैं। यह पारंपरिक जड़ी-बूटियों के मिश्रण, योग, संगीत और मंत्रों पर भी सलाह देता है कि नई माताओं या होने वाली माताओं को मदद मिल सकती है।
इसके अलावा, यह पुस्तक जोड़ों के लिए अपने शरीर को डिटॉक्सीफाई करने और सही अर्थों में स्वस्थ रहने के लिए एक पौष्टिक आयुर्वेदिक आहार-योजना भी प्रस्तुत करती है।
एक बार जब एक माँ गर्भ धारण कर लेती है, तो उसे अपने गर्भ में पल रहे बच्चे का पोषण और पोषण करने में सक्षम होना चाहिए। इसी तरह, यह पुस्तक महीने-दर-महीने पोषण योजना भी प्रदान करती है जो बच्चे के उचित पोषण में मदद करती है। इस पुस्तक में निर्धारित स्वास्थ्य टॉनिक की सूची के साथ-साथ गर्भावस्था के दौरान योग और पूरे शरीर की हर्बल तेल मालिश की भी सिफारिश की जाती है।
श्रीमद भगवत गीता
हिन्दू धर्म में उपनिषद् के तौर पर भगवतगीता को पवित्र माना जाता है, जो महाभारत युद्ध् के दौरान समरभूमि पर भगवन कृष्ण और अर्जुन के संवाद के तौर पर उपदेशात्मक philosophy काव्य है। जिसे दुनिया भर में पढ़ा जाता है, और दुनियां के कई भाषाओँ में इस का अनुवाद मौजूद है। गर्भावस्था के दौरान इस को पढने से गर्भवती महिला का मन शांत होता है, और आनेवाले शिशु पर अच्छे संस्कार होते है। ऐसा माना जाता है।
प्रेगनेंसी में क्या नहीं पढ़ना चाहिए ?
यह भी एक काफी महत्वपूर्ण सवाल है, वास्तव में हम जो भी पढ़ते है, अच्छा या बुरा, उन भावों का अपने अन्दर विचारों में परिवर्तन होता है। जो हम पर सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव डालता है। यदि हम हिंसात्मक या भुतोंवाली डरावनी नोवेल्स को पढ़ते है। तो यक़ीनन नकारात्मकता हमारे भीतर एक डर ,घृणा, अविश्वास का भाव प्रगट करता है, जो गर्भवस्था के दौरान हमें तनाव निर्माण करता है। और ए बात हमारे पेट में पल रहे शिशु के लिए काफी हानिकारक हो सकती है।
इस लिए प्रेगनेंसी के दौरान आपको कोई भी ऐसी चीज़ नहीं पढ़नी चाहिए जिसका गलत असर आपके होने वाले शिशु पर पड़े। इस दौरान आपको डरावनी तथा हिंसात्मक कहानियां, फ़िल्म व धारावाहिक न तो देखने भी नही चाहिए क्योंकि इसका गलत असर आपके और आपके होने वाले शिशु पर पड़ सकता है।
प्रेगनेंसी में पढ़ने के फायदे
उपरोक्त आर्टिकल में हम ने प्रेगनेंसी में क्या पढ़ना चाहिए? साथ ही कई किताबों का विश्लेषण भी किया है जो आप के लिए प्रेगनेंसी में पढने के लिए उपयुक्त है। अब हम जानेंगे की प्रेगनेंसी में पढ़ने के क्या क्या फायदे होते है?
- शिशु का बौद्धिक और मानसिक विकास
- प्रेगनेंसी के दौरान तनाव से मुक्ति
- होनेवाली संतान पर सकारात्मक प्रभाव
- Pregnancy के दौरान उठ रहे सवालों के समर्पक जवाब
- शिशु संगोपन की उचित जानकारी
- शिशु का बौद्धिक और मानसिक विकास
शिशु का बौद्धिक और मानसिक विकास
एक अध्ययन नुसार माँ के पेट से ही शिशु का शारीरिक और मानसिक विकास शुरू हो जाता है। इसी दौरान शिशु की विचारों को ग्रहण करने की क्षमता भी बढती है। अच्छी किताबें पढने से माँ के विचारों में आनेवाली सकारात्मकता शिशु ग्रहण करता है, जिस से जन्म के बाद मानसिक और बौद्धिक तौर पर सक्षमता के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है।
प्रेगनेंसी के दौरान तनाव से मुक्ति
Pregnancy के दौरान महिलाओं में काफी हार्मोनल बदलाव होता है, जिस से मूड स्विंग होना एक आम बात होती है। ऐसे में कई असीसे बाते होती है तनाव का निर्माण करती है। जिस का सीधा असर पेट में पल रहे शिशु पर पड़ता है। इसलिए तनाव से दूर रहने के लिए प्रेगनेंसी में पढना काफी बेहतरीन विकल्प माना जाता है।
होनेवाली संतान पर सकारात्मक प्रभाव
माना जाता है की एक शिशु माँ के गर्भ में ही आवाज सुनने में सक्षम होने लगता है ऐसे में माँ की हर एक्टिविटीज शिशु पर गहरा प्रभाव डालती है। गर्भावस्था के दौरान पढने से विश्वास और सकारात्मकता बढती है तो यक़ीनन इस का सीधा असर आप के शिशु पर सकारात्मक प्रभाव डालेगा।
Pregnancy के दौरान उठ रहे सवालों के समर्पक जवाब
प्रेगनेंसी में क्या पढ़ना चाहिए? के पुरे आर्टिकल में हम ने आप को यही बताया है की जब कोई महिला पहली बार अपने प्रेगनेंसी के दौर में होती है, तो उस के मन में कई तरह के सवाल निर्माण होते है, जो उस महिला में अविश्वास और तनाव को निर्माण करते है, यदि इस दौरान विशेषज्ञों के सम्बन्धित विषयों के नोवेल्स, किताबें या आर्टिकल्स पढ़े तो यक़ीनन मन में उठ रहे सवालों के जवाब मिल सकते है जिस से आप का स्ट्रेस खत्म हो जाता है।
शिशु संगोपन की उचित जानकारी
Pregnancy के दौरान हम जब ऐसी किताबें पढ़ते है जो शिशु के देखभाल और संगोपन से जुडी हुई है तो यक़ीनन आप के जानकारी में अच्छा ख़ासा इजाफा हो सकता है, जो आप को शिशु के देखभाल के लिए काफी उपयोगी साबित होता है।
संबोधन
दोस्तों, उपरोक्त प्रेगनेंसी में क्या पढ़ना चाहिए के इस आर्टिकल में हम ने सम्बन्धित विषयों की सभी जानकारी को आप के सामने साँझा किया है। जो एक गर्भवस्था में महिलाओं के लिए काफी महत्वपूर्ण है। इस लेख में दर्शित किताबों के विश्लेषण आप को उदाहरण के तौर पर दिए गये है जो की सिमित है। अन्य भी कई लेखकों द्वारा लिखी गयी किताबें आप के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकती है।
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