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ग्राइप वाटर क्या है? बच्चों को ग्राइप वाटर कब से देना चाहिए ? gripe water in hindi की important जानकारी

gripe water in hindi की important जानकारी

ग्राइप वाटर क्या है? बच्चों को ग्राइप वाटर कब देना चाहिए? या बच्चों को ग्राइप वाटर देना चाहिए या नहीं? ग्राइप वाटर के फायदे और नुकसान क्या है? कई तरह के सवाल है जो ग्राइप वाटर से जुड़े हुए है? जिस से कई माता पिता कन्फ्यूज्ड हो जाते है की अपने शिशु को ग्राइप वाटर दे या नही। 

इस लिए उन सभी सवालों के जवाब हम gripe water in hindi के इस आर्टिकल के माध्यम से आप के सामने लाये है। जो आप के और आप के शिशु के लिए एक महत्वपूर्ण जानकारी साबित होती है। इसलिए आप को ध्यान से और पूरा आर्टिकल पढना चाहिए जो आप के नवजात शिशु सम्बन्धी परेशानियों से आप को छुटकारा दिला सकती है।

gripe water in hindi
gripe water in hindi

gripe water in hindi ग्राइप वाटर इन हिंदी

 जन्म के बाद नवजात शिशु का रोना एक सामान्य प्रक्रिया है, नींद लेना और रोने जैसे एक्टिविटीज से बच्चों को भूख लगती है यह हम सभी जानते है, परंतु एक शिशु का लगातार रोना parents के लिए  चिंता का विषय होता है क्यों की  जब एक शिशु इस तरह से बार बार या लगातार रोता है तो वह  किसी अन्य तरह की परेशानी जैसे कि कोलिक या किस तरह का पेटदर्द, या फिर दांत निकलना जैसे समस्याओं के कारण भी हो सकता है। और इसी समस्याओं से लड़ने के लिए हम अक्सर gripe water का प्रयोग करते आ रहे हैं। 

लेकिन हमे पता होना चाहिए की हम पारंपरिक मान्यताओं के आधार पर शिशु को ग्राइप वाटर देते है। और इस का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। क्यों की वैज्ञानिक शोध के अनुसार ग्राइप वाटर शिशु को देना सही नहीं है। और कई विदेशी औषध कंपनिया इसे किसी तरह की दवाई नही मानते।

National Centre for Biotechnology Information (NCBI) के एक शोध निबंध के अनुसार बच्चों को ग्राइप वाटर देना सही नही माना जाता। (शोध निबंध पढने के लिए यहाँ क्लिक करें) इसलिए अपने बच्चों तथा शिशुओं को ग्राइप वाटर देना या नही देना इस दुविधा में parents रहते है। 

इसीलिए gripe water in hindi का हमारा यह आर्टिकल आप के सभी सवालों के जबाब देने के लिए है।

ग्राइप वाटर क्या है? (gripe water meaning in hindi)
यह एक ऐसा तरल पदार्थ है जो कई तरह के आयुर्वेदिक तत्वों जैसे  सौंफ, मुलेठी, इलायची, कैमोमाइल, अदरक, नींबू बाम, शुद्ध पानी और ग्लिसरीन जैसी जड़ी-बूटियों को मिलाकर बनाया जाता है। जिस का प्रयोग आम तौर पर शिशु के पेट फूलने या गैस की समस्या से लेकर दात निकलने के दर्द, शिशु को हिचकी की समस्या, कोलिक, अपच जैसे पेटदर्द के लिए किया जाता है।

क्या बच्चों के लिए ग्राइप वाटर सुरक्षित है?

आम तौर पर यह सवाल काफी parents को परेशान करता है, की ग्राइप वाटर क्या सच में बच्चों के लिए एक सुरक्षित विकल्प है। लेकिन अब तक ऐसी कोई भी वैज्ञानिक रिसर्च या किसी विशेषज्ञ की राय आज तक सामने नहीं आई है कि ग्राइप वाटर से शिशु को समस्याओं से छुटकारा मिलता है। 

हमारे देश में ग्राइप वाटर का इस्तेमाल ज्यादातर ऐसे मौकों पर किया जाता है, जब रोते हुए बच्चे को चुप कराना होता है। लेकिन रिसर्च से जो बाते पता चली है काफी हैरान करने वाली है। जो कहते है की gripe water में ऐसे तत्वों का प्रयोग किया जाता है जो नशीली या एल्कोहॉल होती है, जिस के प्रभाव में बच्चे या शीशु रोना छोडकर चुप हो जाते है। हालांकि, अब बिना एल्कोहॉल के ग्राइप वाॅटर आते हैं।लेकिन फिर भी जब हम ग्राइप वाटर खरीदते है तो कुछ बातों की जाँच करना जरुरी हो जाता है क्यों की  ग्राइप वॉटर में ऐसे इंग्रीडेंट्स भी  होते हैं जिनका उपयोग शिशु की सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। जैसे, 

अल्कोहल 

पहले ग्राइप वॉटर में सीमित मात्रा में अल्कोहल को मिलाया जाता था। जब सन १८५०  के दौरान  ग्राइप वाटर की शुरवात हुई थी तब कई सालों तक इस में अल्कोहल मिलाया जाता था, ऐसा माना जाता था कि ग्राइप वाटर में अल्कोहल की मात्रा बच्चे पर अच्छा प्रभाव डालती है, जबकि ऐसा नहीं है। शिशुओं के अंग शुरुवात में अविकसित होते हैं, जिनका विकास धीरे-धीरे होता है। इसलिए इस उम्र में एल्कोहल की थोड़ी सी मात्रा भी उनके लिए खतरनाक हो सकती है।

लेकिन आज के दौर में  बाजार में मिल रहे ग्राइप वाटर में अल्कोहल का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। फिर भी जब कोई parents अपने शिशु के लिए ग्राइप वाटर खरीदते है तो उन्हें यह जाँच लेना चाहिए की ग्राइप वाटर में अल्कोहल या अल्कोहोलिक तत्व नही है।

सोडियम बाइकार्बोनेट (Sodium bicarbonate) 

gripe water में सोडियम बाइकार्बोनेट का भी उपयोग होता है। इसके ज्यादा सेवन से शिशु को अल्कालोसिस और मिल्क अल्कली सिंड्रोम जैसी समस्या हो सकती है, जिस कारण शिशु के किडनी व अन्य अंगों पर असर पड़ सकता है। 

अल्कालोसिस शिशु के शरीर में blood में मौजूद PH के लेवल को असंतुलित करता है। दरअसल, खून एसिड और बेस दोनों से बना होता है और शरीर में एसिड कम होता है या बेस बढ़ जाता है, तो ऐसा हो सकता है। 

शुगर 

gripe water में ज्यादा शुगर की मात्रा शिशु के लिए हानिकारक साबित हो सकती है। ऐसे में अगर इसे शिशु को ज्यादा मात्रा में पिलाया जाए, तो शिशु के नए-नए दांत खराब हो सकते हैं। इसलिए, जब भी ग्राइप वाटर खरीदने जाएं, तो उसमें शुगर की मात्रा जरूर चेक कर लें और शिशु को संतुलित मात्रा में इसका सेवन कराएं।

ग्लूटेन 

ग्लूटेन एक ऐसा तत्व है जो नवजात शिशु या 6 माह के कम उम्र के शिशु के लिए हानिकारक होता है जिस से नवजात शिशु को आंत सम्बन्धी बिमारियों का खतरा बढ़ जाता है। जो की कुछ कंपनियों के  ग्राइप वाटर में ग्लूटेन भी रहता है, जो शिशु के लिए हानिकारक हो सकता है। शिशु को कम से कम छह महीने के बाद ही ग्लूटेन का सेवन कराना चाहिए। 

चारकोल

कई gripe water में वेजिटेबल कार्बन या चारकोल का उपयोग भी किया जाता है, जो शिशु के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए, शिशु के लिए gripe water लेने से पहले उसमें मिलाई गई सामग्रियों पर जरूर ध्यान दें। अगर उसमें चारकोल मौजूद हो, तो उसे अपने शिशु को न पिलाएं।

बच्चों को ग्राइप वाटर कब और कैसे देना चाहिए? gripe water use in hindi

बच्चों को ग्राइप वाटर कब देना चाहिए और कैसे देना चाहिए यह जानना हर parents के लिए आवश्यक है, ग्राइप वाटर बनाने वाली कई कंपनियां यह दावा करती है की एक या दो सप्ताह के ऊपर के उम्र वाले शिशु को ग्राइप वाटर पिला सकते है। लेकिन यह सही नही माना जाता क्यों की इतने जल्दी एक नवजात शिशु के पाचनतंत्र का विकास होना असंभव है। इसलिए बच्चों को ग्राइप वाटर कब देना चाहिए और कैसे देना चाहिए इस के लिए निम्न बातों को जान लेना आवश्यक है।

  • जब आप के शिशु को कोलिक, अपच, दात निकलने की समस्या, पेट फूलना, गैसेस जैसी समस्याओं में किसी अन्य साधनों से राहत ना मिल पा रही हो।
  • एक या डेढ़ महीने के शिशु को ग्राइप वाटर देना किसी भी तरह से सही नही है। इस समय पाचनतंत्र कमजोर होता है।
  • ग्राइप वाटर खरीदते समय जाँच कर के ही ख़रीदा जाना चाहियें, जिस में किसी नशीली तत्व का इस्तेमाल किया हो जैसे अल्कोहल, सोडियम बाइकार्बोनेट, चारकोल, और शुगर के मौजूदा वैल्यू को पढ़कर ही ग्राइप वाटर खरीदें।
  • जब शिशु में आप ज्यादा चिडचिडा पण देख रहे हो, या शिशु बार-बार लगातार रो रहा है तब आप अपने शिशु को दिन में एकबार डॉक्टर्स की सलाह से ग्राइप वाटर दे सकते हो।आमतौर पर ग्राइप वाटर दिन में एक बार दिया जाता है, लेकिन कभी-कभी कुछ ब्रांड एक बार से ज्यादा देने की सलाह देते हैं। ऐसी स्थिति में इस बारे में डॉक्टर से सलाह लेना ज्यादा बेहतर रहेगा।
  • शिशु के दूध पिने या कुछ खाने के 10 – 12 मिनट बाद ही आप को ग्राइप वाटर देना चाहिए। साथ ही इसे किसी ड्रॉपर या चम्मच की सहायता से देना चाहियें।
  • जरुरी है की ग्राइप वाटर देते समय अपने डॉक्टर्स की सलाह लें और साथ ही ग्राइप वाटर पर दिए गये निर्देशों का पालन करें। इस के निर्देशों में शिशु को दिन में कितनी मात्रा में ग्राइप वाटर देने सम्बन्धी जानकारी के निर्देश भी दिए होते है।
  • कई बार parents निर्देशों के पढ़े बिना ही पावडर के दूध के साथ मिलाकर बच्चों को ग्राइप वाटर देते है जो बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। क्यों की इस से गंभीर केमिकल रिएक्शन होने की संभावनाओं को नाकारा नही जा सकता। इसलिए ऐसा करने से बचे और शिशु को माँ का दूध या किसी तरह का दूध पावडर देने के 10 से 15 मिनट बाद ग्राइप वाटर दें।

आप के जानकारी के लिए हम ने उम्र के हिसाब से शिशु को कैसे ग्राइप वाटर देना है, इस का एक टेबल दिया है। जिस के माध्यम से आप बड़ी आसानी से उम्र के हिसाब से कितना ग्राइप वाटर बच्चों को दे सकते है, यह जान सकते है।

अनु.क्र.आयु समूहग्राइप वाटर की खुराक
1.0-1 महीने का शिशु ½ छोटा चम्मच (2.5 मि.ली.) दिन में 3 बार
2.1-6 महीने का शिशु 1 छोटा चम्मच (5 मि.ली.) प्रतिदिन 3 बार
3.6 महीने से 1 साल का शिशु 2 छोटे चम्मच (10 मि.ली.) प्रतिदिन 3 बार
4.1 साल से 2-3 साल का शिशु2-3 छोटे चम्मच (10-15 मि.ली.) से ऊपर 3 बार

ग्राइप वाटर के फायदे क्या हैं? benefits of gripe water for babies in hindi

gripe water in hindi के इस आर्टिकल में हम आप को ग्राइप वाटर के फायदे क्या है (gripe water ke fayde in hindi ) यह बताने जा रहे है। हम आप को बताना चाहते है की यदि ग्राइप वाटर का संतुलित और सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए, तो ग्राइप वाटर यक़ीनन एक शिशु के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। नीचे पढ़िए कि ग्राइप वाटर के फायदे क्या हैं

  1. पाचन सम्बन्धी समस्या :- कभी-कभी माँ अपने बच्चे को दूध ठीक तरह से नही पिला पाती या  बच्चे को माँ का दूध ठीक तरह से नही पच पाता। जिस के कारण बच्चे उल्टी कर देते हैं। अपच के कारण बच्चों को हिचकियां आनी शुरू हो जाती हैं। यदि आपके शिशु को पाचन संबंधी समस्या हो तो ऐसे में शिशु को ग्राइप वाटर देना फायदेमंद होता है। ग्राइप वाटर देने से बच्चे को इन समस्याओं में आराम मिलता है।
  2. डिहाइड्रेशन में उपयोगी :- गर्मियों के मौसम मेंबच्चों के शरीर में पानी की कमी हो सकती है। ज्यादा अधिक गर्मी से बच्चे के पेट में भी गर्मी पड़ने का डर रहता है। इसलिए शिशु के शरीर में पानी की कमी से और पेट की गर्मी से बचाने के लिए बच्चे को ग्राइप वाटर पिलाना फायदेमंद रहता है। ग्राइप वाटर शिशु के शरीर में पानी की कमी नहीं होने देता।
  3. कोलिक दर्द में उपयोगी :- जब बच्चे कोलिक दर्द ( मरोड़) से बहुत परेशान हो जाते है और इस दर्द के कारण बच्चे बार बार लगातार रोते है। ऐसे में बच्चे को इस दर्द से राहत देने के लिए आप उसे ग्राइप वाटर पिला सकते हैं। जिस से बच्चे को तुरंत राहत मिलती है। 
  4. शिशु को हिचकियों से आराम देता है :- पेटदर्द या पेट फूलने जैसी समस्याओं के साथ शिशु को  बार-बार हिचकी की दिक्कत होने लगती है। ऐसे में शिशु को बार-बार आने वाली हिचकियों से राहत देने के लिए बच्चे को ग्राइप वाटर पिलाया जाता है।
  5. दांत निकलते समय :-  जब छोटे बच्चों के दात निकलना शुरू होता है तब बच्चे बहुत परेशान रहते हैं। इस दौरान अक्सर बच्चे को मसूढ़ों में दर्द होता है और बच्चे दस्त के भी शिकार हो जाते हैं जिस वजह से वे चिड़चिडें हो जाते है।लगातार रोते है ऐसे में, बच्चे को इस परेशानी में राहत देने के लिए ग्राइप वाटर पिलाया जाता है। इससे दांत निकलते समय होने वाले दर्द से बच्चे को राहत मिलती है।

ग्राइप वाटर देते समय सावधानियां

gripe water in hindi के इस आर्टिकल में हम ने आप को gripe water सम्बन्धी जरुरी बातों को बताया है जिसे आप सावधानियों के तौर पर चिन्हित कर सकते है, जैसे आप को पता है की आजकल बाज़ार में कई तरह के ग्राइप वाटर available हैं। जिस में किसी ग्राइप वाटर में एल्कोहल,सोडियम बाइकार्बोनेट, चारकोल और शुगर की मात्रा अधिक होती है तो कोई ग्राइप वाटर एल्कोहल, चारकोल और शुगर फ्री होता है। एल्कोहल, चारकोल और शुगर युक्त ग्राइप वाटर छोटे बच्चों के लिए नुकसानदायक होता है। इसलिए आप हमेंशा एल्कोहल फ्री ग्राइप वाटर ही खरीदें। जो आप के शिशु के लिए फायदेमंद साबित हो।

जब भी आप ग्राइप वाटर ख़रीदे या उसका इस्तेमाल करें तो सब से पहले इसके पैकेट या बोतल पर दिए गये निर्देशों को ध्यानपूर्वक पढ़ें। इसमें साफ़-साफ़ लिखा होता है कि किस उम्र के बच्चे को इसकी कितनी मात्रा देनी चाहिए। दिए गये निर्देशों का पालन करें  साथ ही ग्राइप वाटर के बोतल या पैकेट पर एक्सपायरी डेट की जाँच अवश्य करें (expire हुए पैकेट या बोतल को ना खरीदें ) इस के साथ ही ग्राइप वाटर देने से पूर्व अपने डॉक्टर्स की सलाह लें। 

कुछ बच्चों को ग्राइप वाटर सूट नहीं करता है। यदि आप के बच्चे को ग्राइप वाटर देने के बाद किसी भी तरह की कोई एलर्जी होती है जैसे- खुजली, उल्टी, डायरिया या सूजन आदि। तो ऐसे में आप अपने बच्चे को ग्राइप वाटर देना बंद कर दें और उसे तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।

ग्राइप वाटर के नुकसान क्या है? 

यदि parents सही तरह से और सभी सावधानियों को ध्यान में रखते हुए ग्राइप वाटर का इस्तेमाल अपने शिशु के लिए करते है तो यकिनन एक शिशु के लिए उस को होनेवाली परेशानियों में  ग्राइप वाटर फायदेमंद साबित होता है। लेकिन जरूरत से ज्यादा और सावधानियों के बिना ग्राइप वाटर के नुकसान भी कई तरह से होते है। यह भी parents को जानने के आवश्यकता है, इसीलिए हम ने gripe water in hindi के इस आर्टिकल में ग्राइप वाटर से होनेवाले संभावित नुकसान को भी सूचीबद्ध किया है। आओ देखते है।

  • ग्राइप वाटर से शिशु को एलर्जी की शिकायत हो सकती है।
  • साथ ही शिशु को खुजली की समस्या हो सकती है।
  • इससे शिशु के आंखों में पानी आने की परेशानी हो सकती है।
  • ज्यादा ग्राइप वाटर के इस्तेमाल से शिशु को साँस लेने में दिक्कत हो सकती है।
  • साथ ही इस के अधिक मात्रा से बच्चे बार बार उल्टी कर सकते है।
  • कई बार ग्राइप वाटर से बच्चों के जीभ और होंठों पर सूजन आ सकती है।

 इस के साथ ही कई बार ग्राइप वाटर में मौजूद सामग्रियों की भी एलर्जी बच्छों को हो सकती है। इसलिए अगर ग्राइप वाटर पिलाने के बाद आप के शिशु में उपरोक्त लक्षण दिखाई दे तो तुरंत ग्राइप वाटर देना रोख देना चाहिए और अपने डॉक्टर्स से जरुर बात करनी चाहियें।

ग्राइप वाटर के विकल्प क्या है?

ग्राइप वाटर भले ही फायदे हों, लेकिन आप को पता है की विशेषज्ञ इसे शिशु को देना सह नही मानते। बच्चों से जुडी सम्बन्धित परेशानियों के लिए कई अन्य तरह के विकल्पों को आजमाने की सलाह देते है। gripe water in hindi के इस आर्टिकल में हम भी आप को आप के शिशु को ग्राइप वाटर की आदत णा पड़ें इसलिए कुछ सुझाव देते है जिसे आप  ग्राइप वाटर के विकल्प के तौर पर आजमा सकते हैं।

  • अगर शिशु को पेट में गैस या दर्द की परेशानी हो, तो आप शिशु के पेट को हल्के-हल्के से मालिश करके उन्हें आराम पहुंचा सकते हो
  • अगर आप शिशु को पावडर वाला दूध दे रहे हैं, तो उसके दूध में अपने डॉक्टर्स की सलाह से बदलाव करके देखें या जिस ब्रांड का उपयोग कर रहे हैं, उसे बदलकर देखें।
  • मौसम में बदलाव होने पर शिशु पर ध्यान दें। कभी-कभी शिशु ठंड लगने से या गर्मी लगने से भी रोते हैं। इसलिए, उन्हें मौसम के अनुसार ही कपड़े पहनाएं।
  • शिशु को दूध पिलाने के बाद उसे डकार जरूर दिलाएं।
  • शिशु को कम से कम छह महीने तक मां का दूध ही दें।
  • शिशु को स्तनपान कराने वाली माँ को अपने भोजन में मसालेदार, या ऐसे सब्जियों को स्थान नही देना चाहिए जिस से गैस या कब्ज की शिकायत हो।
  • अगर किसी शिशु को कोलिक की समस्या है तो parents को बिलकुल ही घबराना नही है, क्यों की आम तौर पर जब शिशु 3 से 4 माह का हो जाता है तब यह कोलिक की समस्या अपने आप खत्म हो जाती है। या इस सन्दर्भ में आप अपने डॉक्टर्स से बात कर सकते है।

FAQ – ग्राइप वाटर से सम्बन्धित सवाल 

सवाल :- क्या ग्राइप वाटर को फॉर्मूला दूध में मिलाया जा सकता है?

जवाब :- कई माता-पिता ग्राइप वाटर को फॉर्मूला दूध के साथ देते हैं। हालांकि, यह सुरक्षित हो सकता है, लेकिन बेहतर होगा कि आप ग्राइप वाटर को किसी चीज में मिलाकर न दें। ग्राइप वाटर का असर तब और अच्छे से होता है, जब इसे ऐसे ही बिना किसी चीज में मिलाकर दिया जाए। ज्यादातर ग्राइप वाटर का स्वाद अच्छा होता है, इसलिए यह आपके शिशु को पसंद आएगा।


सवाल :- ग्राइप वाटर बच्चों को कब पिलाना चाहिए?

जवाब :- ग्राइप वॉटर की कंपनियां यह दावा करती हैं दो सप्‍ताह तक के शिशु को ग्राइप वॉटर दिया जा सकता है। लेकिन, एक महीने के होने तक शिशु को ग्राइप वॉटर नहीं देना चाहिए। कई लोगों तथा विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि छह महीने तक के शिशु को ब्रेस्‍ट मिल्‍क या फॉर्मूला मिल्‍क ही देना चाहिए।


सवाल :- ग्राइप वाटर में क्या पाया जाता है?

जवाब :- ग्राइप वाटर एक ऐसा तरल पदार्थ है, जिस में सौंफ़,अदरक, कैमोमाइल, मुलेठी, दालचीनी, इलायची, लौंग, लेमन बाम जैसे आयुर्वेदिक तत्व पाए जाते हैं।


सवाल :- ग्राइप वाटर कितने महीने के बच्चे को देना चाहिए?

जवाब :-ग्राइप वॉटर की कंपनियां यह दावा करती हैं दो सप्‍ताह तक के शिशु को ग्राइप वॉटर दिया जा सकता है। लेकिन एक से डेढ़ महीने के उपरांत ही बच्चे को ग्राइप वाटर देना चाहियें । कई लोग बच्चे को ग्राइप वाटर छः माह का हो जाने के बाद ही देना चाहिए, ऐसा मानते है।


सवाल :- क्या ग्राइप वाटर को दूध के साथ मिलाकर दिया जा सकता है?

जवाब :- जी नहीं, बच्चे को ग्राइप वाटर किसी भी तरह के दूध के साथ मिक्स करके न दें क्योंकि, इसमें मौजूद सोडियम बाइकार्बोनेट शिशु के नाजुक पेट पर बुरा प्रभाव डाल सकता है।


सवाल :- ग्राइप वाटर की तासीर कैसी होती है?

जवाब :- ग्राइप वाटर की तासीर थोड़ी ठंडी होती है इसलिए यदि आपके बच्चे को सर्दी, खांसी या जुखाम है तो उस वक़्त बच्चे को ग्राइप वाटर न पिलाएं। जिस में बच्चों को एलर्जी होने का खतरा बढ़ जाता है।


सवाल :- बच्चे को ग्राइप वाटर किस उम्र तक दे सकते हैं?

जवाब :- बच्चे को ग्राइप वाटर 3 साल की उम्र तक दे सकते हैं।


सवाल :- क्या बच्चे को ग्राइप वाटर रोज़ देना चाहिए?

जवाब :- बच्चे को ग्राइप वाटर रोज़ देना आवश्यक नहीं है. जब भी बच्चे को पेट से संबंधित कोई समस्या हो तभी उसे ग्राइप वाटर पिलाएं।


सवाल :- बच्चों को ग्राइप वाटर कब देना चाहिए?

जवाब :- बच्चे के दांत निकलते समय, कब्ज होने पर, पेट में दर्द या मरोड़ होने पर, गैस बनने पर तथा उल्टी या अपच होने पर उसे ग्राइप वाटर देना चाहिए।


सवाल :- ग्राइप वाटर की कीमत क्या है?

जवाब :- अगर बात करें ग्राइप वाटर के प्राइस की, तो इसकी शुरुआती कीमत करीब 50 रुपये है। यह अलग-अलग ब्रांड और साइज पर भी निर्भर करता है।


संबोधन 

gripe water in hindi के इस आर्टिकल में हम ने आप को ग्राइप वाटर क्या है? बच्चों को ग्राइप वाटर कब देना चाहिए? या बच्चों को ग्राइप वाटर देना चाहिए या नहीं? ग्राइप वाटर के फायदे और नुकसान क्या है? इस तरह के ग्राइप वाटर से जुड़े सभी सवालों के जवाब दिए है। जो आप के ग्राइप वाटर से जुड़े कंफ्यूजन को दूर करता है। हमें आशा है की यह आर्टिकल आप के लिए उपयोगी सिद्ध होगा।

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