भ्रूण विकास – गर्भावस्था एक नये जीवन को जन्म देने की प्रक्रिया है, जो एक माँ के लिए काफी अहम और खास होती है, जब भी कोई महिला प्रेग्नेंट होती है, उस के मन में कई तरह की जिज्ञासा उत्पन्न होती है, जो की एक नार्मल बात है।
हम आप के लिए गर्भ धारणा से लेकर शिशु के जन्म तक गर्भाशय में शिशु का विकास कैसे होता है, यह जानकारी लाये है, जिसे जानने की जिज्ञासा हर उस महिला की होती है जो पहिली बार प्रेगनेंसी का अनुभव कर रही है।
गर्भाशय में शिशु के संपूर्ण विकास के लिए 9 माह और 7 दिन याने 267 दिन का समय लगता हैं। 32 – 34 सप्ताह (पहली डिलीवरी के लिए) और 36 – 38 सप्ताह (दूसरी डिलीवरी के लिए) में सिर मुड़ जाता है।
अब जानते है की गर्भ धारणा कैसे होती है?
गर्भधारण
एक शुक्राणु जब आपकी योनि से आपके गर्भाशय ग्रीवा और गर्भाशय के माध्यम से फैलोपियन ट्यूब से गुजरता है और अंडाशय तक पहुँच कर अंडे का निषेचन करता है, जिसे युग्मज याने जोईगोट कहाँ जाता है। तब अंडा अंडाशय में अपने कूप से टूट कर फैलोपियन ट्यूब में चला जाता है।
एक बार जब एक शुक्राणु डिंब, या अंडे में प्रवेश करने के लिए बाहरी झिल्ली से होकर गुजरता है, तो उनकी आनुवंशिक सामग्री एक नई कोशिका बनाने के लिए मिलती है जो जल्द ही तेजी से विभाजित होने लगती है।
यह एक बेहद ही साधारण प्रक्रियाओं में से एक होती है, जो कुछ हफ़्तों तक चलती है, जिस का महिलाओं को पता नही चलता, इसीलिए शायद महिलाओं को अभी कुछ हफ्तों तक अपने गर्भवती होने का पता नहीं चलता।
भ्रूण विकास का पहिला महिना
प्रथम तीन सप्ताह में भ्रूण में कोशिकाओं की तिन परते होती है, जिसमें बाहर का भाग बाह्यत्वचा (ectoderm), अंदर का भाग अंतस्त्वचा (endoderm) और दोनों के बीच का भाग मध्यस्तर (mesoderm) कहलाता है। और इन्ही परतों से आगे चलकर शिशु के अंग विकसित होते है।
पहले महीने में भ्रूण अंगों का विकास शुरू हो जाता है जैसे, अंशतः चेहरा आकार लेने लगता है, इस दौरान मुँह, आँखें, नीचे का जबड़ा और गला भी बनने लगता है साथ ही रक्त कोशिकाएं बनने शुरू हो जाती है और रक्त प्रवाह शुरू हो जाता है। पहले महीने के अंत तक भ्रूण का आकार चावल के दाने से भी छोटा होता है।
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भ्रूण विकास का दूसरा महीना
इस दौरान चेहरा और अंगों का अधिक विकास होने लगता है, धीरे-धीरे भ्रूण के दोनों कान बनना शुरू हो जाते हैं, दोनों हाथ पैर और उनकी अंगुलियाँ, हड्डियों तथा कंकाल का निर्माण होना आरम्भ हो जाता है। मस्तिष्क विकास के लिए जरुरी न्यूरल ट्यूब बनना शुरू हो जाती है, शिशु के संवेदी अंगों का विकास भी शुरू हो जाता है जैसे,शिशु में थोड़ी सी महसूस करने की क्षमता निर्माण होती है। इस महीने के अंत तक शिशु विकसित होकर 1.5 सेंटीमीटर का हो जाता है और उसका वजन एक से दों ग्राम होता है।
इस महीने के अंत तक हृदय, धमनियाँ, लीवर और यूरिनरी सिस्टम काम करना शुरू कर देते हैं। यह शिशु के विकास का क्रिटीकल और महत्वपूर्ण समय होता है इसलिए गर्भवती महिला को अपना विशेष ध्यान रखना होता है। छोटी-मोटी समस्या होने पर महिला को बिना चिकित्सक की सलाह के दवाई नहीं लेनी चाहिए।
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भ्रूण विकास का तीसरा महिना
अब तक आपका शिशु उसकी छोटी, अनोखी उंगलियों के निशान अब जगह पर हैं। संवेदी अंग विकास (पहली गंध संवेदना)। फेफड़ों को छोड़कर सभी अंगों को कार्य करना शुरु कर देते है। तीसरे माह के अंत तक शिशु के विकास का पहला चरण तीन महीनों में पूरा हो जाता है इसलिए इसके बाद गर्भपात होने की संभावना कम ही रहती है। इस दौरान शिशु की लम्बाई 5.4 सेंटीमीटर होता है और वजन 4 ग्राम होता है।
यह समय भावनिक बदलाव कभी होता है इसी दौरान गर्भवती महिला का अपनेशिशु से भावनात्मक रूप से लगाव होना शुरु हो जाता है।
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भ्रूण विकास का चौथा महिना
इस दौरान शिशु की लम्बाई लगभग 13cm होती है और उसका वजन 100 gm से 120gm होता है। उसका कंकाल रबड़ के कार्टिलेज से लेकर हड्डी तक सख्त होने लगा है । यौन अंग, मांसपेशियां, पलकें, उंगलियां और पैर के अंगूठे के नाखून का विकास होता है। इस दौरान मुंह खोलना और बंद करना जैसी एक्टिविटी शुरू हो जाती है। इस महीने फीटल डोपनर मशीन से माँ बच्चे की धड़कन को पहली बार सुन सकती है।
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भ्रूण विकास का पांचवा महिना
सिर और अंगों की गति अधिक होती है। शिशु के सिर तथ शरीर के बाल बनना शुरू हो जाते हैं। और चेहरा विकास के अतिम स्थान पर होता है, इस समय तक शिशु की मांसपेशिया विकसित हो जाती है इसलिए वह हलचल शुरू कर देता है जिसे माँ महसूस कर सकती है। महीने के अंत तक वजन 300 ग्राम और लम्बाई 16.5 सेंटीमीटर हो जाती है। इस दौरान शिशु स्पर्श की अनुभूति कर सकता है।
भ्रूण विकास का छटा महिना
बच्चे की चर्बी बढने के साथ साथ उसकी त्वचा झुर्रीदार से चिकनी होने लगती है। इस दौरान शिशु बाहरी आवाजें सुनने लगता हैं। छह माह के अंत तक शिशु का रंग लाल होता है जिसमें से धमनियों को देखा जा सकता है । इस समय शिशु के महसूस करने की क्षमता बढ़ जाती है और वह साउण्ड या म्यूजिक को महसूस कर उस पर प्रतिक्रिया देने लगता है। इस महीने के अंत तक उसका वजन 600 gm से 800 gm और लम्बाई 30 सेंटीमीटर से 35 सेंटीमीटर हो जाती है।
भ्रूण विकास का सातवा महिना
अब तक, आपका शिशु 40cm (15in) से ज्यादा लंबा हो चुका है। वह अपनी आँखें खोल और बंद कर सकता है और शायद देख सकता है कि उसके आसपास क्या है। इस दौरान बाल विकास और तंत्रिका तंत्र का पूर्ण विकास हो जाता है। और फेफड़े भी अब सांस ले सकते हैं। मस्तिष्क का विकास होता है जिस से सोच संभव होती है। सातवें महीने में शिशु में फेट बढ़ने लगता है, उसकी आवाज सुनने की क्षमता और अधिक बढ़ जाती है, जल्दी-जल्दी अपना स्थान बदलता रहता है। इस समय तक शिशु इतना विकसित हो चुका होता है कि किसी कारण से प्री मेच्योर डिलीवरी हो जाये तो वह जीवित रह सकता है।
भ्रूण विकास का आठवा महिना
आठवे महीने में शिशु आपके बच्चे का वजन अब लगभग 1.7 kg से लेकर 2.2kg होता है , और ऊंचाई लगभग 17 से 18 इंच होती है। उसकी चर्बी की परतें उसे भर रही हैं, उसे गोल बना रही हैं, और उसके फेफड़े अच्छी तरह से विकसित हैं। तेजी से वजन बढ़ना। 90% सोने का समय। सिर नीचे हो जाता है। आठवें महीने में शिशु की हलचल और अधिक बढ़ जाती है जिसे माँ बहुत अच्छे से महसूस कर सकती है। इस समय दिमाग का विकास तेजी से होता है और वह सुनने के साथ देख भी सकता है । फेंफड़ों के अलावा अन्य सभी शारीरिक अंगो का विकास पूरा हो चुका होता है।
भ्रूण विकास का नौवा महिना
आपका बच्चा लगभग होने वाला है । जन्म के समय, औसत बच्चा सिर से पैर तक 47 सेंटीमीटर से 51सेंटीमीटर से अधिक लंबा होता है और इसका वजन लगभग 2.5 kg से 3.4kg होता है, लेकिन इस स्तर पर शिशुओं का आकार व्यापक रूप से भिन्न होता है। इस दौरान शिशु का पूर्ण विकास हो जाता है, इस महीने के अंत तक गर्भाशय में जगह कम होने के कारण शिशु की हलचल कम होने लगती है। यह वह पल है जब महिला का नये जीवन को दुनिया में लाने के प्रति उत्साह चरम पर होता है और वह अपने शिशु के जन्म का इंतजार करने लगती है।
इस तरह से एक एक शिशु गर्भावस्था की विकास प्रक्रिया को पूर्ण कर नई दुनिया में कदम रखता है, जो एक माँ और घर के सभी सदस्यों के लिए काफी ख़ुशी भरा पल होता है।
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